कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचना “कलम"

मंच को नमन
दिनांक -17-10-2020
विषय- शैल पुत्री

            कलम
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जगजननी हे मात भवानी
मैं हूं बालक तेरा अज्ञानी
मां शैल पुत्री दो वरदान
कलम लिखे लेख महान

हे शैलपुत्री वरदानी
तुमसा दूजा कोई न दानी
हम सब बने सुजान
मां शैल पुत्री दो वरदान

तुम हो अंतर्यामी
तुम शिव की अनुगामी
शत्रु का करती हो रक्त पान
मां शैल पुत्रीदो वरदान

तुम हो मां मंगलकारी
तुम जैसा कोई न उपकारी
दे हमको शब्द ज्ञान
मां शैल पुत्रीदो वरदान

तुमसे ही जग श्रृंगार
तुम हो जीवन की आधार
देती हो मां प्राण दान
मां शैल पुत्री दो वरदान

करती सबकी नैया पार
हम पर भी कर दे उपकार
बन जाए मेरी पहचान
मां शैल पुत्री दो वरदान
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
      भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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