बदलाव मंच (राष्ट्रीय एवम अंतराष्ट्रीय)साप्ताहिक प्रतियोगिता(18अक्टूबर से 24 अक्टूबर)
विषय-नारी शक्ति
नोट-ये रचना मेरे द्वारा लिखित है
*नारी शक्ति-"कोमल है कमजोर नहीं तू"*
*तुम जानते हो क्या है नारी*......
*जिसने सारी सृष्टि संवारी* .......
*कभी है अंबे तो कभी है दुर्गा काली*..... .
*कभी न समझना उसे अबला बेचारी*.......
*कभी माता कभी पत्नी कभी बहन तो कभी सखी है*........
*हर पात्र उत्कृष्टता से निभाती है वह,जिससे परिवार सुखी है*.......
*यह जननी भी है यह देवी पूजनीय भी है*......
*खुशियांँ सारी इनसे है घर इनसे ही शोभनीय है*.....
*मन में करुणा, ममता, दया, प्यार भरा पड़ा है*.......
*जिसमें पारिवारिक हित हेतु ही पूरा जीवन गढ़ा है*...
*एक औरत आदमी के जीवन को पूरा करती है*.......
*आदमी के जीवन को सरल व संवारा करती है*....
*मन में दुखों का पहाड़ रखकर भी सदा मुस्कुराती है*......
*यह कोमल कहलाने वाली नारी मुसीबत में चट्टान बन जाती है*....
*नारी लक्ष्मीबाई है नारी सावित्री है नारी सीता है नारी गायत्री है*.....
*नारी का सम्मान व इज्जत करने में ही सच्चे सुख की प्राप्ति है*........
*नारी तू ईश्वर का प्रतिरूप तू ही इस संसार का सार है*.....
*तेरी कोमल काया में पलती नवजीवन की पतवार है*......
*आंचल में समाया अंबर मन में प्रेम का अथाह सागर*......
*ममता की साक्षात मूरत है तू*.......
*समर्पण की सच्ची सूरत है तू*.......
*कोमलता का पर्याय है*......
*ममत्व का संपूर्ण अध्याय है*........
*छलकते आंसुओं में भावनाओं का सैलाब है*........
*पारिवारिक हित से जुड़ा जीवन का हर एक ख्वाब है*.......
*जिसमें माता सीता की सौम्यता है मदर टेरेसा सी आत्मीयता है*......
*मां अंबे है जिसका शांत स्वरूप तो मां काली सी रौद्रता है*.....
*कभी सावित्री सी पतिव्रता है तो कभी रानी लक्ष्मीबाई की वीरांगना है*......
*जिसकी वाणी में है लोरी का मधुर संगीत तो कहीं सिंहनी की गर्जना है*.......
*कल्पना चावला के हौसलों की उड़ान है संसार में नारी ही साहस का प्रमाण है*....
*एक नहीं कई रूपों में इसकी पहचान है परिवार ,संतान ,पति ही जिसका मान है*....
*पर्वत की तरह अडिग है जो हर मुश्किल का समाधान है*.....
*सबके दुख संभाले खुद में ऐसी नदी है मुसीबत में यह अटल चट्टान है*......
*वकील ,डॉक्टर ,इंजीनियर*
*नेता ,वैज्ञानिक हर क्षेत्र में सामने आई है*........
*कोमल कहलाने वाली इस नारी ने सैनिक बनकर दुश्मनों से भी की लड़ाई है*........
*चूड़ियां पहनने वाले हाथों ने कई अविष्कार कर दिखाए हैं*......
*अपने साहस का परिचय देकर चंद्रमा में झंडे गाड़ कर आए हैं*.......
*कोमल पंखों से बुलंद इरादों की ऊंची उड़ान है*.....
*इसलिए भारत माता के रूप में इसका सम्मान है*......
*स्त्री ,पत्नी ,माता ,बहन,*
*काकी हर रूप में जो पूजनीय है*........
*कमजोर वो कभी नहीं हो सकती जो एक नवजीवन की जननी है*.........
*लाचार नहीं तू,बेचारी नहीं तू,तिरस्कृत नहीं तू, उपेक्षित नहीं तू*...........
*हे ईश्वरी शक्ति !अपने अस्तित्व को पहचान क्योंकि कोमल है पर कमजोर नहीं तू*......
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