भास्कर सिंह माणिक, कोंच जी द्वारा बेहतरीन गजल की रचना#

मंच को नमन
विधा-गजल
कहना मुश्किल सुनना मुश्किल
हुआ  है  मौन  रहना   मुश्किल

यहां   खाई  है  कुआं  वहांँ  पर
चलते   रहना   रुकना  मुश्किल

कहां   करूं   फरियाद   बताओ
नासूरी    घाव   सहना   मुश्किल 

मुंह पर कुछ पीठ पर कुछ कहते
हुआ  सच  राह  चलना  मुश्किल

जब    अपनी   बाहें   घात   करें
होता  माणिक  कहना   मुश्किल

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मैं घोषणा करता हूंँ कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
         भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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