खादी और सूती
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अपना स्वदेशी,
खादी और सूती,
देश के अपनो के,
परिश्रम का परिणाम ।
देश का उत्पाद,
अपना स्वाभिमान,
एक स्वतंत्रता से,
जीने का अहसास।
खादी, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी,
बापू का स्वाभिमान,
सूती कपड़ो में सबकी,
अमूल्य सेहत कायम।
गर्मी-सर्दी का में शानदार,
असरदार और मुलायम,
सूती वस्त्रों में छुपा,
शालीनता और गुरुर।
हम किसी दूसरे देशों पर,
नही है निर्भर और मजबूर।
खादी वस्त्र तो अब बनी,
सम्मान का परिचायक।
अब वरिष्ठनेता का ठाट-बाट,
खादी वस्त्रों में बने गणनायक।
सूती और खादी में सजकर,
अपनेपन की अनुभूतियां जगाते हृदय में।
हिंदी भाषा का अलंकार,
और वस्त्रों में अपनी खादी,
जगाती अभिमान दिल मे।
हम अपनी देशभक्ति का,
जगाते अरमान और गर्व,
सूती और खादी का करके सम्मान।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
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