राजश्री राठी जी द्वारा सृष्टि की धरोहर नारी#

नमन मंच 
               बदलाव मंच 
             साप्ताहिक प्रतियोगिता
             नवरात्रि विशेष पर 
            २३/१०/२०२०
             विधा _ गद्य ( लेख )
           " सृष्टि की धरोहर नारी "

             " यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता "
           
           नारी शक्ति के आगे देवता भी नतमस्तक हुए है ।शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा , ज्ञान बरसाती माँ सरस्वती , धन _ धान्य  की समृद्धि देती माँ लक्ष्मी , और  भंडार को समृद्धि प्रदान करती माँ अन्नपूर्णा । जीवनावश्यक सभी  जरूरतों का साम्राज्य नारी के हाथो हैं । नारी केवल भोग की वस्तु नहीं हैं । वह उत्तम योग की स्थली है जो गृहिणी बन संचालन करती है । हमारा घर ही साधना स्थली होता है जहां माताओं की गोद में राम , कृष्ण , गौतम , कपिल , शिवा ,प्रताप जैसे अनेक चमकते सितारों का शील  माताओं ने  गढा है । इसीलिए मातृ देवों  भव कह कर मातृशक्ति को गुरु और पिता से पूर्व स्थान दिया जाता है ।
                  अबला तेरी यही कहानी आँचल में दूध आँखों में पानी यह बाते अब अतीत बन चुकी है । आज की नारी के लिए कहना होगा " सबला तुम्हारी यही पहचान आँखों में सपने आँचल में ज्ञान " वर्तमान दौर में नारियों के चूड़ियों की खनक और पायल की झंकार अंतरिक्ष तक जा पहुंची हैं । आज हर क्षेत्र में अपने  उपस्थिति की रुनझुन मौजूद कर नारियों ने बड़ी कुशलता से अपनी बुद्धिमत्ता का परचम लहराया हैं । जिसके आगे दुनिया नतमस्तक हैं । जिस तरह शरीर में रीढ़ की हड्डी का स्थान महत्वपूर्ण होता है उसी प्रकार परिवार , समाज और देश कल्याण  में नारी की अहम भूमिका है ।
नारियों को अपने हित और कल्याण के लिए लक्ष्य निर्धारित  करना होगा सफलता के सुमनो को खिलने के लिए सुविधाओं का बाग जरूरी नहीं वह मेहनत की मरुस्थली में भी खिल सकता हैं । हर नारी को अपने भीतर स्थित कलागुणो को संवारना होगा और अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने के साथ ही अपने अस्तित्व को नया आयाम देना होगा । 
      " टीम टिमाते तारे आकाश का काव्य है , मुस्कुराती माँ धरती की कविता " मांँ की गोद में हँसता खेलता शिशु विश्व की सर्वोत्कृष्ट कलाकृति हैं । नारी पत्नी के रूप में पति का ह्रदय तत्व उसकी प्राण शक्ती हैं , भाई की चेतना शक्ति ,माता के रूप में पुरुष कि निर्माण शक्ति हैं जो हाथ पलना झूलाता है वह विश्व पर शासन करने का सामर्थ्य भी रख सकता हैं । आज सम्पूर्ण देश में जो बलात्कार की घटनाएँ हो रही हैं उसे कोई  शिक्षा व्यवस्था ना ही कानून व्यवस्था रोक पा रही हैं ,अब बहनों को लक्ष्य साधना होगा वह अपने संतति को सुयोग्य राह पर चलने के लिए प्रेरित करते  हुए उसमें नारी के सम्मान का बीजारोपण बचपन से करेगी ।  समाज ,राष्ट्र को एक अच्छा नागरिक सौंपेंगी यहीं सर्वोत्तम राष्ट्र सेवा होगी और यहीं सच्ची ईश्वर भक्ति हमारा घर आंगन किसी बड़े देवालय से कमतर नहीं यह पवित्र हैं यहाँ गुन्हेगारी के पौधे पनप ना पाए यह ध्यान मातृशक्ति को रखना होगा ।
 " धरती हुई सुशोभित वीरांगनाओ के बलिदानों से ,
    आओं प्रगति का परचम लहराए अपने योगदानों से ।"

           राजश्री राठी
             अकोला

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