नारी शक्ति,,,,, कविता,,,18/10/2020
बृंदावन राय सरल सागर एमपी
नारी मांँ बीबी बहिन। दादी चाची
नंद।।
नारी से इंसान का, जीवन हो मकरंद।।
नारी सरिता नेह की, रिचा मंत्र
इश्लोक।।
नारी से घर में बढे,धन वैभव आलोक।।
नारी घर की आन है ,,नारी घर की शान ,।।
नारी घर की लक्ष्मी ,,नारी है
वरदान।।
नारी तो होती सदा, जैसे फूल समान ।।
खुशबू से महकाए जो, दोनों कुल का मान।।
नारी से है पल्लवित इस जग का आधार।।
नारी से दुनिया बढे,हो सृष्टि
संचार।।
नारी न्यायाधीश है ,,नारी देश प्रधान।।
नारी अब है पायलट नारी है
विद्वान।।
नारी देवी रूप है, चंडी काली अंश।।
युग युग से इनसे चले, हम मानव के वंश।।
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