बदलाव मंच (राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु)
विषय - जय जवान जय किसान
जय जवान जय किसान के उद्घोष के प्रणेता गुदड़ी के लाल कहे जाने वाले भारत माता के सच्चे सपूत माननीय श्री लालबहादुर शास्त्री जी का जन्म वाराणसी के सामान्य हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था .
2 अक्टूबर सन् 1904 में शास्त्री जी का प्राकट्य पिता श्री शारदा प्रसाद जी श्रीवास्तव एवं माता श्रीमती रामदुलारी जी के घर हुआ था उनका विवाह सन 1928 में 24 वर्ष की आयु में हुआ था.
अपनी बाल्यावस्था से ही शास्त्री जी महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानीयों के सक्रिय संपर्क में रहे और कई बार जेल गए ,वह 'सादा जीवन उच्च विचार' की प्रतिमूर्ति थे सत्य संस्कृति दृढ़ता आदर्श चरित्र संयम और ईमानदारी के अद्भुत संगम थे.
जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के उपरांत उन्हें सर्वसम्मति से मई 1964 में भारत का प्रधानमंत्री चुना गया ,उस समय भारत खाद्यान्न उत्पादन और रक्षा (सैन्य) संसाधनों में आत्म निर्भर नहीं था और इसी समय पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के सहयोग से भारत पर आक्रमण कर दिया पर कद के छोटे दृढ़ संकल्प वाले माटी के लाल ने 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा दी अमेरिका भी तिलमिला गया उसके निर्मित पैटन टैंकों को भारतीय सेना ने बतासा जैसे नेस्तनाबूद कर दिया .
अब भारत को अंतरराष्ट्रीय दबाव में घेरने की कोशिश शुरु हो गई उसी समय लालबहादुर शास्त्री जी ने "जय जवान जय किसान" नारा बुलंद किया और देश को खद्मान्न एवं सैन्य संसाधनों से आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया जिसे भारत की देश भक्त जनता ने हृदय से स्वीकार किया और देश में हरित क्रांति का आगाज किया उनकेे आवाह्न पर देश की जनता ने एक समय का भोजन छोड़ कर दुनियां को आश्चर्य में डाल दिया.
अब अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के दबावों में शास्त्री जी को समझौते के लिए सोवियत संघ के ताशकंद में जाना पड़ा और समझौते से आहत होने पर हृदयाघात से अपने प्राण त्याग दिए इस संदिग्ध मौत से संपूर्ण भारत अवाक विस्मय और विषाद में डूब गया अब माटी का लाल लालबहादुर हमारे बीच नहीं थे .
अल्प समय में ही लालबहादुर शास्त्री जी ने जिस दृढ़ता आदर्श का परिचय दिया, देश सदैव ऋणी रहेगा एक विनम्र अहिंसावादी ने "शठे शाठयम समाचरेत" का अनूठा संगम दुनियां को दिखा दिया भारतीय राजनीति की विडंबना रही कि देश को सुदृढ़ आत्म निर्भर बनाने वाला महापुरुष क्षुद्र कुत्सित राजनीति का शिकार हो गया , दैवीय शक्ति संपन्न अभिजात्य वर्ग के वंशजों ने उन्हें बौना बनाये रखने का भरसक प्रयास किया पर देश की जनता ने अपने गुदड़ी के लाल को सदैव के लिए अपने हृदयों में अंकित कर लिया
"जय जवान जय किसान" आज भी भारत की जनता का हृदय उद्घोष है और लालबहादुर शास्त्री जी हृदयों में विराजमान हैं.
जय जवान जय किसान
चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र"
अहमदाबाद , गुजरात
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मैं चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र" अहमदाबाद गुजरात घोषणा करता हूं कि उपरोक्त गद्म लेखन मेरे विचारों का स्व संपादन है यह मेरे मौलिक विचार हैं अप्रकाशित अप्रसारित हैं
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