कवयित्री स्वेता कुमारी जी द्वारा रचना “हे मुरली मनोहर, ये कैसी दुविधा आयी है"

कृष्णा भगवान


हे मुरली मनोहर, ये कैसी दुविधा आयी है,
कभी सुख है, कभी दुख आयी है।
मैने तो बस एक सपना संजोया था,
एक तू ही रहे जीवन मे, बाकी सब बेवफाई है।।
हे मुरली मनोहर, ये कैसी दुविधा आयी है,
कभी सुख है, कभी दुख आयी है।।


एक तेरी लीला भजति रहूँ मैं,बाकी सब दुखदायी है।
पावन तेरी यादें हैं, बाकी सब खुदाई है।
हे मुरली मनोहर, ये कैसी दुविधा आयी है,
कभी सुख है कभी दुख आयी है।

मीरा , राधा सब करे तेरी बखानी हैं,
तेरी लीला तू ही जाने हम सब तेरे दासी हैं।
कंश वध करके भी तू ना बना अहंकारी है,
देख दुनिया की हालत कुछ पैसों की क्या मारामारी है।
है मुरली मनोहर, ये कैसी दुविधा आयी है,
कभी सुख है, कभी दुख आयी है।।


धैर्य, प्रेम और अटूट विसवास तूने ही दिखाई है,
मन , कर्म, वचन तूने ही सिखाई है,
जीवन की मूल सिख त्याग तूने ही सिखाई है।
हे  मुरली मनोहर, ये कैसी दुविधा आयी है,
कभी सुख है, कभी दुख दाई है।।

स्वरचित रचना
स्वेता कुमारी 
धुर्वा, रांची।

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