निर्मल जैन 'नीर' जी द्वारा बेहतरीन रचना#

विजयादशमी...
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पावन पर्व~
विजयादशमी पे
छाया है हर्ष
बुरे हैं काज~
घूमे राम-वेश में 
रावण आज
कर दो अंत~
मन में बुराईयाँ
छिपी अनंत
रावण काज~
जानें कब आयेगा
राम का राज
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान

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