कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा रचना “मिसाइलमैन ए पी जे अब्दुल कलाम"

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
नमन राष्ट्रीय और  अंतरराष्ट्रीय मंच
विधा:-काव्य
विषय:- मिसाइलमैन ए पी जे अब्दुल कलाम
दिनांक:-13/10/2020
दिवस:-मंगलवार
रचनाकारा:-शशिलता पाण्डेय
ए,पी,जे अब्दुल कलाम
*******************
अपने भारत देश के,
 महान वैज्ञानिक।
 विख्यात नाम था,
 मिसाइल मैन।
भारतीय गणतंत्र के,
 निर्वाचित11वे राष्ट्रपति।
 पूरा था नाम 
अब्दुल पाकुर जैनुलाब्दीन कलाम।
अपने राष्ट्र के गौरव
, महान व्यक्तित्व।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी,
 अद्भुत कृतित्व।
 भारतरत्न पद्मभूषण सुशोभित
उनकी जन्मस्थली थी,
 तमिलनाडु के रामेश्वरम।
भारत के जाने-माने,
 वैज्ञानिक और अभियंता।
 जनता के राष्ट्रपति ,
कहती थी भारत की जनता।
1992 से 1999 तक मख्य सलाहकार,
 रक्षामंत्री के तत्कालीन।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रोफेसर,
लेखक को पूरा विश्व करता था सलाम। 
धन्य हुई थी आदर्श,
 माता आशियम्मा, 
आध्यात्मिक, सात्विक,
 और बुद्धिमान पिता जैनुलाब्दीन।
15 अक्टूबर1931 को ,
लिया था जन्म।
ये कहलाये जनता के,
 राष्ट्रपति,मिसाइलमैन।
 पल्लवित,पुष्पित हुआ,
 जहाँ इनका बचपन।
रामेश्वरम द्वीप के समंदर की,
 लहरे और सुनहरी रेत।
 जहाँ उनके बचपन की छोटी सी,
 दुनियाँ थी समाहित।
जब वे छोटे से आठ साल के थे,
 तभी विश्वयुद्ध था छिड़ा।
उन्होंने अपने चुनौतीपूर्ण,
 जीवन का युद्ध था लड़ा।
मिलो चलते पैदल ,
पहुँचते थे सूर्योदय से पहले।
मुस्लिम धर्म किन्तु ,
मन्दिर ज्ञान स्वामी से लेने।
कभी अरबी सबक ,
मौलाना के पास सीखने।
छोटी उम्र में किया करते थे ,
समाचार पत्र वितरित।
रोज जाते स्टेशन,
 जिस रास्ते भरी होती थी रेत ।
दिन में जाते थे स्कूल,
 शाम को करते थे मेहनत।
जीवन मे बहुत झेला,
 दिक्कते,मसक्कत,कठिनाई।
पर विषम परिस्थितियों में,
भी नही छोड़ी अपनी पढ़ाई।
शाम को पढ़ते थे नमाज,
 उठाकर अपने दोनों हाथ।
जाते थे परिक्रमा करने,
 शिवमंदिर भाई के साथ,
उनके थे आदर्श और खास,
 अपने बहनोई जलालुदीन।
जिन्होंने उन्हें हमेशा अपने,
 लक्ष्य को पाने का मंत्र दिया।
विद्द्या अध्ययन के लिए संघर्षरत,
 होते हुए आर्थिक मदद किया।
दूसरे उनके प्रिय आदर्श ,
 चचेरे भाई शमसुद्दीन।
जिन्होंने जागती आँखों के सपने दिखाए।
हर कठिन परिस्थितियों में ,
सतत प्रगति के मार्ग बताए।
इसरो,रक्षा अनुसंधान,
 महत्वपूर्ण संगठनों भूमिका निभाई।
द्वितीय पोखरण,
 परमाणु परीक्षण 1998 में कराई। 
संगठनात्मक तकनीकी, 
राजनैतिक की भूमिका निभाई।
ये सारी दुनियाँ में,
  मिसाइल मैन हुए विख्यात।
प्रक्षेपण यान व बैलेस्टिक मिसाइल,
 को किया विकसित।
भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल,
के कार्यक्रम से जुड़कर मिसाइलमैन।
के नाम से हुए प्रख्यात,
25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक,।
राष्ट्रपति के पदपर रहे आसीन।
 अनुसंधान को विश्व पटल पर दिलाई पहचान,
असफलता से नही था सरोकार।
निराशा कभी फटकने न पाई पास,
जाति-पाती से ऊपर उठकर।
 डॉ कलाम बने थे दुनियाँ में खास,
अपने सपनों को देकर पंख।
हमेशा ही उड़ते रहे ऊँचे आकाश,
अग्नि, आकाश,त्रिशूल,पृथ्वी, नाग मिसाइल।
डॉ कलाम की दक्षता के थे प्रमाण,
1981 में पद्मभूषण से हुए सुशोभित।
पदम् भूषण और भारत रत्न विभूषित,
वो थे सत्यनिष्ठ,कर्मनिष्ठ और शांति के दूत।
बच्चों से था उन्हें प्यार अद्भुत,
एक महत्वपूर्ण भाषण के दौरान ।
  शिलांग में दिल के दौरे से पंचतत्व में विलीन,
27 जुलाई 2015 को 82 वर्ष की उम्र में।
असामयिक मृत्यु को हुए प्राप्त,
 शौकीन हारमोनियम सितार वाद्ययंत्र बजाने के।
कला प्रेमी तमिल शास्त्रीय संगीत,
 माँ भारती की अद्भुत कृपा थी प्राप्त।
अपने राष्ट्र का अभिमान डॉ कलाम,
आपको और आपकी कृतियों को बारंबार सलाम।
**********************************
स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री:-शशिलता पाण्डेय
 बलिया (उत्तर प्रदेश)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ