कवि प्रकाश कुमार मधुबनी “चंदन" जी द्वारा रचना (विषय-ये दुनियाँ ऐसे ही है)

*ये दुनियाँ ऐसे ही है।*

*स्वरचित रचना*

आदमियों को सीढ़ी बना
 आदमी आगे बढ़ता है।
जबतक उसके काम 
आता है कद्र करता है।।

उसको हमदम कहता है।
जब काम पूरा हो जाए
लात मार अलग कर देता है।।

तू इसमें आपा ना खोना।
अच्छा है इससे एकांत में होना।।

स्वयं को तू काबिल बना।
चल अंदर हौसला जगा।।

तू स्वयं करके देख तो सही।
कर्म का पासा फेंक तो सही।।

घबरा मत सच का सामना कर।
चल अपने अंदर नव रंग भर।।

हारकर बैठ जाना मत सीख।
स्वयं की दास्तां स्वयं लिख।।

ऐसा कर पाएगा तो बेहतर होगा।
जो भी होगा स्वयं के दम पर होगा।।

 *प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"*

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