सृजन.....
*******************
करो वन्दन~
माँ के श्री चरणों में
नया सृजन
•
नव विचार~
लेखनी में भर दो
माँ सुसंस्कार
•
बदला दौर~
ये कलम कभी न
हो कमज़ोर
•
कभी रूके ना~
चंद नोटों के आगे
कभी झुके ना
•
सृजन हो सच्चा~
झूठ के आगे कभी
ना खाए गच्चा
•
*******************
निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान
0 टिप्पणियाँ