निर्मल जैन 'नीर'ऋषभदेव जी द्वारा खूबसूरत रचना#

सृजन.....
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करो वन्दन~
माँ के श्री चरणों में
नया सृजन
नव विचार~
लेखनी में भर दो
माँ सुसंस्कार
बदला दौर~
ये कलम कभी न
हो कमज़ोर
कभी रूके ना~
चंद नोटों के आगे
कभी झुके ना
सृजन हो सच्चा~
झूठ के आगे कभी
ना खाए गच्चा
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान

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