मंच को नमन
विश्वास से
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स्वर्ग, नरक
यश, अपयश
मान ,सम्मान
ज्ञान, अज्ञान
कायम रहते हैं
विश्वास से
हम स्वर्ग के निवासी
हम हैं भारतवासी
धर्म, अधर्म
कर्म ,कुकर्म
सुख, दुख
स्थापित करते हैं
विश्वास से
हम बना सकते हैं
हम मिटा सकते हैं
हम लड़ सकते हैं
हम सब कर सकते हैं
चित्र ,विचित्र
रूप, कुरूप
दीर्घ, लघु
विशाल ,बौना
हम बना सकते हैं
विश्वास से
वीरान, श्रृंगार
घृणा, प्यार
निराधार ,आधार
अपमान, सत्कार
अनाधिकार, अधिकार
मुट्ठी में कैद कर सकते है
विश्वास से
संयोग ,वियोग
प्रयोग, अनुप्रयोग
प्रेम, ईर्ष्या
भाव बदल सकते हैं
विश्वास से
महल नहीं
बनाइए घर
करिए स्वागत
आए मेहमान का घर
जीवन में कभी मत करना
किसी को भी बेघर
हम सुखांभूति कर सकते हैं
विश्वास से
तोड़िए नहीं जोड़िए
बवंडरों के रुख मोड़िए
सुख पाओगे जीवन में
मन सरिता सम रखिए
गीत प्यार के गाएंगे
घर को स्वर्ग बनाएंगे
विश्वास से
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच
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