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जब-जब जीवन मे विषमता आएं,
मानसिक चेतना शिथिल पड़ जाएं।
जब चारो ओर से घेर ले निराशाएं।,
मुखर मौन प्रार्थनाएँ विश्वास जगाएँ।
अंतश चेतना को जागृत कर जाए,
होने लगती परमेश्वर की अनुभूतियां।
जीवन आशाओं के बिपरीत हो जाएँ,
तब अपनी मौन प्रार्थनाएँ काम आएं।
हम परमेश्वर को अपने नजदीक पाए,
एक नई आशाओं के दीप प्रज्वलित।
परम् -पिता परमेश्वर बिगड़े काम बनाएं,
महेश्वर हमारी डूबती नैया पार लगाए।
हम चिंताओं से मुक्त हो खुशियॉ मनाएं,
बड़ी प्रभावशाली होती ये मौन प्रार्थनाएँ।
हृदय का सीधा संदेश ईश्वर तक जाए,
कोई भी बिघ्न संकट से हम मुक्ति पाएं।
बड़ी राहत देती हुई सुकून मन को पहुँचाए,
अपनी में हर परीक्षा ईश्वर सफलता दिलाएं।
बड़ी मुखर होती है अपनी ये मौन प्रार्थनाएँ,
सच्चे दिल से जब हम करते प्रार्थनाएं।
मांगे ईश्वर से जो हम वो निश्चित ही पाएं,
भगवान का भी हृदय द्रवित हो जाएँ।
ईश्वर के दरबार मे बड़ी जल्दी सुनी जाएं,
बड़ी मुखर होती है ये मौन प्रार्थनाएँ।
स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री :-शशिलता पाण्डेय
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