जीवन में#भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा#

जीवन में
जीवन में जिस तरह श्वास जरूरी है
जीवन में उसी तरह विश्वास जरूरी है
इसमें कोई दोराह नहीं यह जीवन का सच है
जिंदगी में श्वास और विश्वास जरूरी है

भोजन शरीर को हिष्ट पुष्ट रखता है
जल शरीर की सांसो को गतिमान रखता है
वृक्ष करते हैं स्वच्छ हवा को ऑक्सीजन देते
औषधियां देकर हमें स्वस्थ रखता है
जैसे कर्म करोगे वैसा ही फल पाओगे तुम
जिंदगी में श्वास और विश्वास जरूरी है

हम नहीं कहते हैं ग्रंद हमारे कहते हैं
छल दंभी नर  ही हमेशा दुख सहते हैं
लक्ष्य पर नजर रखने वाले ही भेदन करते हैं
जग उसका करता वंदन जो निर्भय रहते हैं
बुजुर्ग हमारे हमें सदा जागृत करते हैं
जिंदगी में श्वास और विश्वास जरूरी है

चंदा सूरज से सीखें समय का पालन करना
गगन धरा से सीखे धैर्य का पालन करना
प्रकृति के कण-कण हम सीखें परमार्थ
सरिता से हम सीखें लक्ष्य का पालन करना
व्यर्थ छल में पड़कर समय नहीं गंवाना
जिंदगी में सांस और विश्वास जरूरी है
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
         भास्कर सिंह माणिक कोंच

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