नवरात्रि पर डॉ.भावना एन सावलिया जी द्वारा विशेष रचना#

बदलाव मंच
दिनांक :२३/१०/२०
साप्ताहिक प्रतियोगिता
नवरात्र विशेष
विषय : नवरात्र
विधा : कविता
नवरात्र

आया नवरात्र का पर्व  
नव दुर्गा मेरे मन-मंदिर बसीं ।
चाँद-सितारे नभ चमके 
मानो रजनी मधुर हँसी ।
मेरे मन-मंदिर में माँ
आत्म-ज्ञान-दीप जले ।
माँ की अपार-ममता से 
सारे जग को प्यार मिले ।। 

माँ की असीम-कृपा से 
तमस का होता है होम !
माँ के प्रेम-प्रकाश से 
आलोकित होता है व्योम ।
दिल के गर्भगृह में माँ की
दीपित है ममता की मूरत ।
माँ की दिव्य-दृष्टि से 
शोभित है संसार की सूरत ।।

हे सुख दायिनी! काम-
क्रोध-अहंकार दूर करो माँ ।
 लोभ, माया, ईर्ष्या-द्वेष 
मन के हवन करो माँ ।
दुष्ट-असुरी तत्वों को 
हमारे नष्ट करो माँ दुर्गा ।
नव-नव शक्ति रुपों का 
हममें संचार करों माँ दुर्गा ।।

नवदुर्गा शक्ति-स्वरूपा तू ही
अखंड-सृष्टि के पालनहार ।
हम भोले-निर्दोष भक्तों के 
तू ही माँ एक रक्षणहार ।
 कृपा करो माँ बहु-बेटी में 
माँ अम्बा का सबको दर्शन हो ।
सब घर में वृद्ध माँ-बाप का
सेवा-पूजन व अर्चन हो ।। 

हर नारी का मान-सम्मान 
और हक-अधिकार हो ।
हर परिवार में  मुस्कान 
वृद्ध माँ की बरकरार हो ।
तब सार्थक होगी माँ
दुर्गा की पूजा अर्चना ।
इससे बढकर नहीं है 
और कोई पूजा अर्चना ।। 

डॉ.भावना एन सावलिया 
राजकोट गुजरात

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