*"राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच"* के समस्त पदाधिकारी गण और रचनाकारों को नमन।
*शीर्षक - शहीद भगत सिंह*
आजादी की कीमत क्या है यह तुमने बतलाई ,
इंकलाब की परिभाषा भी तुमने हमें सिखलाई।
अँग्रेजी गीदड़ से क्या डरें ,करो सामना डटकर,
स्वाभिमान से जीना है,तुमने ये सीख समझाई।
आँधी क्या टक्कर लेगी सम्मुख है तूफान,
मातृभूमि का बढ़ा हमेशा वीरों से सम्मान।
बने आग के शोले तुम, दुश्मन भी थर्राया,
नमन करे भारतवासी ,देख तेरा बलिदान।
कोमल कोपल से तुम दिखते ,बने सरोवर शांत,
देख हुकूमत अंग्रेजी को, बचपन हुआ अशांत।
क्रोध की ज्वाला भड़क उठी जैसी लहरें सागर में,
छेड़ दिया रज-कण में राष्ट्र प्रेम की तान सुशांत।
रची शौर्य की गाथा बना स्वर्णिम इतिहास,
चाह कर दुश्मन ,कर नहीं सकता उपहास।
विह्वल होता,माँ का ह्रदय खो कर तुमको,
तुम शूरवीर बेटे थे ,बेटों में भी तुम थे खास।
** एकता कुमारी **
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