बेटी " माँ बाप की परछाई "
कहते है लोग बेटी है पराई ,
ये बात मेरी समझ में आज तक नहीँ आई ,
.... ..बेटी तो माँ बाप की है " परछाई "
माँ बाप के रोम रोम है समाई ,
....... फिर में केसे मान लूँ बेटी है पराई ॥
आधुनिक युग में माँ बेटी की दूरी है घटाई ,
हर चार घंटे बाद बेटी की कॉल आई ।
केसी हो मम्मी केसे है पापा केसा है मेरा भाई ,
क्या पापा ने दवाई खाई ।
फिर में केसे मान लूँ बेटी है पराई ,
बेटी तो माँ बाप की है" परछाई " ॥
माँ बेटी की जब होती है जुदाई ,
फिर भी बेटी है माँ की "परछाई " ।
फिर कुछ देर बाद बेटी की कॉल आई ,
कैसी हो मम्मी कैसे हैं पापा,कैसी है मेरी ताई ,
क्या काम करने वाली बाई घर आई ।
... फिर में कैसे मान लूँ बेटी है पराई ,
बेटी तो माँ बाप की है " परछाई " ॥
. प्रतियोगिता परछाई , साया के लिखी गई
निर्दोष लक्ष्य जैन
धनबाद
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