माँ बाप की परछाई#निर्दोष लक्ष्य जैन जी द्वारा बेहतरीन रचना#

           बेटी  " माँ बाप की परछाई " 
                     
             कहते है लोग बेटी है पराई , 
       ये बात मेरी समझ में आज तक नहीँ आई , 
 ....    ..बेटी तो माँ बाप की है " परछाई " 
            माँ बाप के रोम रोम है समाई , 
 .......   फिर में केसे मान लूँ बेटी है पराई ॥ 

        आधुनिक युग में माँ बेटी की दूरी है घटाई , 
          हर चार घंटे बाद बेटी की कॉल आई । 
       केसी हो मम्मी केसे है पापा केसा है मेरा भाई , 
             क्या पापा ने दवाई खाई । 
         फिर में केसे मान लूँ बेटी है  पराई , 
         बेटी तो माँ बाप की है"  परछाई " ॥ 

           माँ बेटी की जब होती है जुदाई , 
            फिर भी बेटी है माँ  की "परछाई " । 
        फिर कुछ देर बाद बेटी की कॉल आई , 
     कैसी हो मम्मी कैसे हैं पापा,कैसी है मेरी ताई , 
        क्या काम करने वाली बाई घर  आई । 
      ...  फिर में कैसे मान लूँ बेटी है पराई , 
            बेटी तो माँ बाप की है " परछाई "  ॥ 

  .        प्रतियोगिता  परछाई , साया के लिखी गई 
                                 निर्दोष लक्ष्य जैन
                  धनबाद 
     

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