*गाँधीजी ,अहिंसा, प्रेम*
करमचंद गांँधी पिता, राजकोट दीवान।
धार्मिकता भरी महिला, पुतलीबाई जान।।
श्रवण पितृभक्ति पढा, सोचा मन में ठान
मैं भी वैसा ही बनूँ, संतति निष्ठावान ।।
हरिश्चंद का सच अडिग ,मन में किया विचार ।
बोलूँ न मैं झूठ कभी, त्यागूँ मैं कुविचार।।
बापू बंदर तीन आपके, देते हैं संदेश।
बुराई से दूर रहो, मिट जाएंँगे क्लेश।।
यदि कोई दंडित करे ,है यह भारी भूल।
दिल में रख इस बात को, चुभता जाए शूल।।
धर्म अहिंसा है परम, सभी से है महान।
त्याग औ' सहनशीलता, सत्य हुए भगवान ।।
है अहिंसा धर्म परम ,सभी से है महान ।
त्याग औ' सहनशीलता, सत्य हुए भगवान।।
हिंसा वृति को छोड़कर ,हुए बहुत ही काम ।
गौतम बुद्ध वन गए, हो गया अमर नाम ।।
अगर बुरा हम बोलते, हिंसा का पर्याय।
चोट लगे यदि अन्य को, यह भी है अन्याय।।
हिंसा मत करना कभी, रोग का यही मूल ।
अनाचार व्यापे नहीं, उखड़े पाप समूल ।।
महावीर ने भी कहा, हिंसा करना पाप ।
पथ अहिंसा पर चलकर, हम होएँ निष्पाप।।
*हे राष्ट्रपिता*! *देखो यहांँ* ,
*आपकी बिटिया छितरा रही*
*नग्न-भग्न है मृत कराहती*, *गायब सारे सत्याग्रही*
🙏 🙏🙏
*मीनू मीना सिन्हा मीनल विज्ञ*
राँची,झारखंड
0 टिप्पणियाँ