कवयित्री कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार जी द्वारा रचना “ए,पी,जे, अब्दुल कलाम"

सादर समर्पित    
बदलाव अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय मंच
दिनांक 13 अक्टूबर 2020
 विषय माननीय राष्ट्रपति महोदय
 ए,पी,जे, अब्दुल कलाम


दुनिया के मिसाइल मैन और भारतीय जनता उन्हें राष्ट्रपति के नाम से जानती है जिन्हें डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम कहा जाता है उनका पूरा नाम _  अबुल पाकिरजैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था।
 इस बार 87 वर्षगांठ जन्मोत्सव की 15 अक्टूबर को मनाई जा रही है इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था यह भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन रहे और सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया यह वैज्ञानिक इंजीनियर और महान समाजसेवी दार्शनिक देश प्रेमी भी रहे
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले में एक अति अल्प शिक्षित परिवार में हुआ जो कि निर्धन भी थे निर्धन होने के साथ-साथ ना विज्ञान वहां की मछली पकड़ने की नाव चलाने का काम किया करते थे और मां असीमा एक साधारण बनी थी बचपन में आप अपने पिता के काम में सहयोग करते थे उनका हाथ बढ़ाकर थे स्कूल में भी मध्यम श्रेणी के विद्यार्थी थे किंतु उनमें सीखने की इच्छा प्रबल थी गणित में विशेष रूचि थी प्राथमिक शिक्षा के पश्चात 1954 में तिरुचिरापल्ली से सेंट जोसेफ कॉलेज में मौत की में स्नातक की डिग्री प्राप्त की 1955 में मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी मैं एयरोस्पेस इंजीनियरिंग अध्ययन करने लगे उनका स्वप्न था लड़ाकू पायलट बनने का किंतु परीक्षा में वह नौवें स्थान पर उत्तीर्ण हुए जबकि आइए केवल 8 परिणाम भी घोषित किए स्वप्न पूर्णा हो सका उन्होंने मुख्य रूप से वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य क्रियाकलापों में मिसाइल के विकास के प्रयासों में शामिल रहे
। भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में अब्दुल कलाम जी लगभग 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों में से सम्मानित हुए जहां से उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया और अनेकों अवार्ड प्राप्त किए 1997 में राष्ट्रीय एकता इंदिरा गांधी अवार्ड भी इन्हें प्रदत्त किया गया
इंसी विशिष्ट उपलब्धियों में दिल से ने सम्मानित किया गया वह इस प्रकार हैं__
1* 1997 में भारत रत्न से सम्मानित होने पर देश गर्व महसूस करता है।
2* 1981 में आप को पद्म भूषण अवार्ड से नवाजा गया।
3* 1982 में अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया।
4* 1990 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया यह अपने आप में एक बहुत बड़ा सम्मान था।
5* 1999 में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार बनाए गए।
6* 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो में रहे और तब से लेकर 2002 तक भारत के जार में राष्ट्रपति बने।
 कलाम साहब ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि मुझे वाली काल में पुस्तकें एक दुर्लभ वस्तु की तरह हुआ करती थी मतलब कहने का यह तात्पर्य था कि उनके पास पुस्तकें खरीदने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे वहां के स्थानीय स्तर पर पूर्व क्रांतिकारी और मानिकम का निजी पुस्तकालय था और उन्होंने घर से पढ़ने के लिए उत्साहित किया और मैं अक्सर उनके घर में पढ़ने के लिए जाता और किताबें ले आया करता था।
अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है कलाम साहब ने कि एक दूसरे व्यक्ति जिन्होंने बाल काल में उनके जीवन पर गहरा असर डाला वह थे उनके चचेरे भाई समसुद्दीन वह रामेश्वरम में अखबारों के एकमात्र वितरक थे इन अखबारों में स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित ताजा खबरें ज्योतिष से जुड़े हुए संदर्भ और मद्रास चेन्नई बन गया है सर्राफा बाजार के भाव प्रमुखता से दिए होते थे महानगरी दृष्टिकोण रखने वाले कुछ महापुरुषों के बारे में चर्चाएं करते थे पाठक हिटलर महात्मा गांधी और जिन्ना के बारे में अखबार में जो कुछ छुपा होता वह सब मेरी समझ से परे था इसलिए समझ दीन के ग्राहकों को अखबार बांटने से पहले मैं सिर्फ अखबार में छपी तस्वीर पर नजर डालकर ही संतोष कर लेता था।
आ गई हूं लिखते आत्मकथा में कि हर बच्चा एक विशेष आर्थिक सामाजिक और भावात्मक परिवेश में कुछ वन गत कुछ वर्ष गुणों के साथ जन्म लेता है फिर संस्कारों के अनुरूप उसे डाला जाता है मुझे अपने पिता से विरासत में के रूप में ईमानदारी और आत्म अनुशासन मिला तथा माने ईश्वर में विश्वास और करुणा का भाव प्रदान किया यह गुण मेरे तीनो भाई बहनों को भी विरासत में मिले।
 बचपन में मेरे तीन पक्के दोस्त थे रामानंद शास्त्री अरविंदन और शिव प्रकाशन यह तीनों ही हिंदू परिवार से थे रामानंदन तो रामेश्वर मंदिर के सबसे बड़े पुजारी पंडित लक्ष्मण शास्त्री का बेटा था अलग-अलग धर्म पालन पोषण पढ़ाई लिखाई को लेकर हम में से किसी भी बच्चे ने कभी भी आपस में कोई भेदभाव महसूस नहीं किया मेरी मां और दादी घर के बच्चों को सोते समय रामायण के किस्से और पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी घटनाएं सुनाती थी।
जब मैं पांचवी कक्षा में था तब एक दिन एक शिक्षक हमारी कक्षा में आए मैं टोपी पहना करता था जो मेरे मुसलमान होने का प्रतीक था मैं कक्षा में हमेशा आगे की पंक्ति में जनेऊ पहने रामानंद शास्त्री के साथ बैठा करता था नए शिक्षक को एक हिंदू लड़के का मुसलमान लड़के के साथ बैठना अच्छा नहीं लगा उन्होंने मुझे पीछे वाली ब्रांच पर बैठा दिया मुझे बहुत बुरा लगा रामानंद के चेहरे पर उदासी के भाव थे उनकी उस पर गहरी छाप पड़ी।

स्कूल की छुट्टी होने पर हम सब घर गए सारी घटना अपने अपने परिवार वालों को बताई यह सुनकर लक्ष्मण शास्त्री ने उस शिक्षक को बुलाया और कहा कि उसे निर्दोष बच्चों के दिमाग में इस तरह सामाजिक और सामान्यता एवं सांप्रदायिकता का विश नहीं भूलना चाहिए हम सब भी उस वक्त वहीं मौजूद थे लक्ष्मण शास्त्री ने उस शिक्षक से साफ साफ कह दिया कि या तो वह क्षमा मांगे या फिर स्कूल छोड़कर यहां से चला जाए उस सिक्षक ने अपने किए व्यवहार पर न सिर्फ दुख व्यक्त किया बल्कि लक्ष्मण शास्त्री के कड़े रुख एवं धर्मनिरपेक्षता में उनके विश्वास से उस नौजवान शिक्षक में अंतर बदलाव आ गया। कलाम साहब के ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जिन्हें पढ़ने से यह विदित होता है कि वह वास्तव में हमारी संस्कृति सभ्यता और संस्कारों की परिपूर्ण धरोहर है
 मैंने अपनी इन आंखों से रामेश्वरम तीर्थ यात्रा के दौरान उनके घर को देखा और अवलोकन किया और निश्चित तौर पर यह कह सकते हैं कि वह निश्चित ही एक महान आत्मा थे कहा भी गया है होनहार बिरवान के होत चिकने पात


 और मैं एक शिक्षिका हूं 2002 में जब राष्ट्रपति बने उसके पश्चात ही सितंबर माह में 5 सितंबर को होने वाले शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति पुरस्कार से मुझे सम्मान प्राप्त हुआ और यह सम्मान माननीय महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के कर कमलों से मुझे प्राप्त हुआ उस दौरान भी जब मेरा नाम पुकारा गया और नाम के साथ जब जबलपुर एमपी का नाम आया तो उन्होंने तत्काल ही ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया का और गन कैरिज फैक्ट्री का नाम लिया और बहुत ही खुश हुए तुम उससे हर से आई हो जहां हमारे देश के लिए गोला बारूद तैयार होता है और मुस्कुरा कर मुझे थैंक यू थैंक यू बोले साथ ही उन्होंने घाट के प्राकृतिक दृश्य का वर्णन मनोरम लगता था ऐसे थे हमारे मिसाइल में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम मैं उनके साथ का संजू की वार्ता एवं साथ शिक्षक दिवस 2002 राष्ट्रपति पुरस्कार के रूप में कभी नहीं भूल सकती यह मेरे जीवन के  ना भूलने वाले क्षण हैं जिन्हें मैं कभी भी नहीं भुला सकती और ऐसे मिसाइल मैन को मैं शत शत वंदन अभिनंदन करती हूंँ।

 कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार मध्य प्रदेश जबलपुर स

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