कवयित्री नीलम डिमरी जी द्वारा रचना “गणपति की आरती"

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दिनांक--१६/१०/२०२०
दिवस-- शुक्रवार

     **गणपति की आरती**
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ओम जय गणपति देवा,
गजे जय गणपति देवा।
प्रथम प्रणाम है तुझको,
विनती सुन देवा। ओम जय...

मंगलकर्ता दुख तू हर्ता,
लडूवन भोग लगाता।
रिद्धि सिद्धि धन पाता,
गणनायक कहलाता। ओम जय..

शिव गौरी का लाल है तू,
लंबोदर कहलाए।
बुद्धि भक्ति से ध्यावे,
तेरी कथा सुनाए। ओम जय...

आज्ञाकारी सुत है,
तूने शीश कटाया।
गौरी वचन को तूने,
हर दम पूरा किया। ओम जय...

जग में तेरी पूजा,
सबका मंगल करे।
गणपति बप्पा मोरिया,
मूषक सवारी करें। ओम जय...

ओम जय गणपति देवा,
गज जय गणपति देवा।
प्रथम प्रणाम है तुझको,
विनती सुन देवा। ओम जय..


     स्वरचित-- नीलम डिमरी
      चमोली,,, उत्तराखंड

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