कवि रूपक जी द्वारा रचना

क्या इसका जिम्मेदार कोई नहीं....

कब तक उस दरिंदे पापी को इस देश और 
समाज में यूं ही पाप करने का बढ़ावा मिलता रहेगा।
कब तक देश और समाज में कोई निर्दोष , 
बेकसूर इंसान बेमौत ही अपनी मौत मरता रहेगा।

इस दरिंदे पापी का शिकार तो रोज रोज कोई न कोई 
 बेकसूर मासूम इंसान हो रहा है।
इस पापी के ठेकेदार  और समाज के इंसानों की
चुप्पी ही तो इसको हत्या करने का बढ़ावा दे रहा है।

इंसान के रूप में सभी इंसान क्यों मूरत बन गया है?
कैसे इंसान अपने अन्दर के इंसानियत को मार दिया है?

इस दरिंदा पापी के खिलाफ कुछ भी ना बोलने वाला
इन निर्दोष इंसानों के हत्या का क्या ये जिम्मेदार नहीं?

रुपक ये समझता है इस दरिंदा पापी के खिलाफ 
कुछ ना बोलना और चुप रहना ।देश और समाज में
उस हत्या का कहीं न कहीं ये भी तो जिम्मेदार ही है।
© रुपक

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