कवि मोहम्मद मुमताज हसन जी द्वारा 'बापू तुम्हें नमन' विषय पर रचना

*बापू तुम्हें नमन है*🙏

सींचा था लहू से तुमने
प्यारा यह वतन है!
हमें दिला दी आज़ादी
लूटा कर जानो-तन है,
प्यारे बापू तुम्हें नमन है!

राजनीति अब गंदी हो गई
वेश्याओं - सी मंडी हो गई!
कागज़ पे जो सड़कें बनती
सड़कों पर पगडंडी हो गई!

सफेद पोशों की करतूतों से
पड़ा खतरे में अपना चमन है
प्यारे बापू तुम्हें नमन है!

'धर्मवाद' की राजनीति में
खंडित होता भाईचारा
जाम हुआ 'विकास का चक्का'
जात पात का बुलंद है नारा!

वृक्ष लगे थे एकता के जिधर
रक्तरंजित हुआ वो आंगन है!
प्यारे बापू तुम्हें नमन है
बारम्बार तुम्हें नमन है!!

 -मोहम्मद मुमताज़ हसन
   टिकारी, गया, बिहार

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