।। "क" अक्षर की वर्णावृत्ति ।।
कर्मों को अपने हम करते ही
जायें ।
काम करके लक्ष्य हासिल कर
पायें ।
किसी की नही करे हम कभी
कोई निंदा ।
कुछ का चयन भी करें हम
चुनिंदा ।
कम से कम एक कार्य करें
रोज अच्छा ।
कर जिसको हम अपनी ही
स्वेच्छा ।
कभी झूठ न बने कहे सब
सच्चा ।
कह सके जिसको फिर हर
बच्चा बच्चा ।
कथनी करनी में नही करें
अंतर ।
उन्नति होती रहेगी हरदम
निरंतर ।
कर्मों की महक को इस कदर
फैलायें ।
करनी से ही हम चंदन बन
जायें ।
करे सदा हम अपनो का भी
सम्मान ।
कभी नही करें किसी का हम
अपमान ।
कब तक हम अपना न दिखाये
प्रखर ।
कब तक हम रहेंगे दूसरों पर
निर्भर ।
करें वीरता के कार्य बने
स्वाभिमानी ।
कब से रास्ता देख रही झांसी
की रानी ।
काली दुर्गा रणचंडी तुम बन
जावो ।
काश कि यह स्वभाव फिर से
लावो ।
कोयल कौवा में तो अंतर
करना सीखो ।
कभी ना पड़ेगा जिंदगी का रंग
फीको ।
काली बदरी बन जगत में छा
जावो ।
काले कारनामे का अंत करो
जहां भी पावो ।
कठोरता भी कहीं कहीं पर तो
अब दिखावो
कुकर्मियों को संसार से अब
तो मिटावो ।
कुछ कर्तव्य ऐसे अब तुम भी
दिखलावो ।
काल कवलित होने पर भी
नाम कर जावो ।
क्रंदन नहीं करो अब तो
बिगुल बजावो ।
कलयुग को गीता अपना राग
सुनाओ ।
गीता पाण्डेय
उपप्रधानाचार्या
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