बदलाव मंच
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
२३/१०/२०२०
विषय - सातवीं कालरात्रि
शीर्षक- रौद्ररुप महाकाली
सप्तम् शक्ति माँ कालरात्रि
रौद्र रुप भंयकर , देवता भी देख भयभीत ,
गदर्भ ( गधे ) पर सवार होकर
काली , भद्रकाली , महाकाली ,
रक्तबिज का नाश किया
सभी देवता हर्षित हो गाँवों स्तुति
रक्तदंता महरानी ।।
खड्ग खप्पर रखने वाली ,
असुरों का लहू पीने वाली ।
कलकत्ता है धाम तुम्हारा , महाकाली कहलाने वाली ।।
दुष्ट विनाशक,भक्त सुखदायिनी
सबकी हितकारी,सर्व विध्नहरणि ।।
नव रात्री का सप्तम दिन, माँ कालरात्रि की पूजा विधिवत ।
माँ कालरात्रि की भक्ती देती , समस्त सिद्वियों की शक्ति ।।
माँ कालरात्रि माँ शुभंकारी
त्रिनेत्र वाली , श्वास श्वास में ज्वाला बहती ।
माँ रात्री में तेरी पूजा करुगी मंत्र सभी मैं सिद्ध करुगी ।
गुड का नैवेद्य अर्पित कर प्रसाद ब्रह्माण को बाँटूँगी ।।
गले में निंबू की माला पहनाऊँ , हाथों में तलवार थमाऊँ । मस्तक लहू का तिलक कर
तंत्रविघा , ज्ञान पाऊं ।।
नकारात्मक शक्तियों को फुँकार से भस्म करती हो ।
रोद्री, धुमोरना , चामुण्डा , चण्डी.
माता तेरे रौद्र रुप से भयभीत करती हो ।।
शुभंकरी माँ शुभ फलदायक , रुप भंयकर कष्ट निवारक ।।
नवरात्रों में कालरात्रि कृपा कर
दो ।
खिलखिलाहट के पल
सबके जीवन में भर दो ।।
सब भक्त प्रेम से बोलो
कालरात्रि माँ तेरी जय जय
करते बारम्बार प्रणाम है
महाकाली तेरी सदा ही जय
डॉ.अलका पाण्डेय मुम्बई
महाराष्ट्र
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