बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
नारी शक्ति और नवरात्रि
दिनांक 18 अक्टूबर 2020
कविता :- नौ दिन नव रूप अलंकार
माँ को सजाकर नौ
दिवस नव रूप अलंकार
सेतो दुर्गा होती है शोभित |
नौ दिवस नव खाद्य नैवेद्य
करके माँ को तृप्ति हेतु |
नौ दिवस नव फल-फूलों
से सजाके, माँ से
वर पाने का प्रयास करते |
शक्ति का एक अर्थ प्रेम,
व सहनशील का
पात्रमें भी पारंगत देवी |
शैलपुत्री की प्रथम
पुजा रूप विशाल हृदय
के प्रेरणा दायक |
दोहरा रूप तो ब्रह्म
चारिणी हो तुम दीन
दुखियों की रक्षा करती |
है तेरा तृतीय रूप चंद्र
घटना की दुष्ट संहार कर
खुशी भर देती है |
कूष्मांडा तो चतुर्थ
रूप उल्लास दायिनी l
पंचम स्कन्द माता
कहलाती कार्तिकेय
के साथ पूजी जाती |
कात्यायनी रूप षष्टम
किसानों को समृद्धि प्राप्त
कर मुस्काना भर देती है |
कालरात्रि तेरा रूप है
सप्तम दुष्ट संहारीणी बन
कष्ट दूर कर देती है |
गौरी तो रूप का सुंदर
व कोमल स्वभाव भर
शांति के दूत |
नवम रूप तो
सिद्धदायनी सकल
जीवजंतों की उद्धारिनी |
देवी तू संसार के
जीवजंतों के रक्षक
बनकर इस धरा पर
पावनकर दिया कमाल |
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