बदलाव मंच
साप्ताहिक प्रतियोगिता
पाँचवाँ दिन पाँचवी रुप
21/10/2020
विषय - स्कन्ध माता -
शीर्षक - स्कंद माता
स्कंद कुमार कार्तिकेय की मात भवानी ।
चार भुजा धारी , शुभ्र वर्ण कमल पे विराजे भवानी ।।
जय जय माता स्कंद माता बारम्बार प्रणाम है ।
पाँचवाँ नाम तुम्हारा आता , सत् सत् नमन वंदन है ।।
जगह जगह पर तेरा बसेरा
मंदिर मंदिर तेरे भव्य नज़ारे ।।
केले का है भोग लगाऊँ ,
केसर खीर तुम्हें खिलाऊँ ।।
ऊँचे ऊँचे पहाणों पर तेरा बसेरा
हम सब प्राणी को तेरा आसरा
तेरी कृपा मूरख को ज्ञानी बनाये ।
कालिदास से रघुवंशम महाकाव्य लिखवायें ।।
हर एक मन को जानन हारी
जग माता सबकी महतारी ।।
गुण गाते हम तेरे धनुष बाण अर्पित करते ।
भक्ती तेरी हमको देना सिंगार वस्तु अर्पित करते ।।
माँ स्कन्द माता बिगाड़ी सबकी बनाना ।
दुष्ट दानव असुरों को मार भगाना ।।
भक्तों का संताप हर लेना
सबकी आस पूरी करना ।।
कमल पुष्प के आसन पर तुम्हे बिठाऊं ।
पिली चून्नुर गोटे वाली , तुम्हें पहनाऊँ ।।
सिंह पर सवार होकर आना
भक्तों को कष्टो से बचाना ।।
तेरे रुप का करते बखान हम
तेरी महिमा का करते गान हम।।
माँ शींश झूकाते है बंदन करते है
बारम्बार प्रणाम करते है ।।
जय बोलो स्कंद माता की
जय बोलो पद्मासना माता की
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