।। महात्मा गाँधी ।।
2 अक्टूबर 1869 को इनका जन्म हुवा ।
गुजरात के पोरबंदर को मिली यह दुवा ।।
पिता करमचंद गांधी थे माता पुतलीबाई ।
13 वर्ष में कस्तूरबा संग व्याह रचाई ।।
माँ ने विदेश जाते समय मंगल तिलक लगाई ।
मांस मदिरा से बचने की शपथ भी थी दिलाई ।।
चरखा चलाकर सूत को खूब थे बनाये ।
रंग रंग के खादी वस्त्र सबको पहनाये ।।
पशु बल से आत्मा को मुक्त भी ये कराये ।
सत्य अहिंसा से हिंसा की आग थे बुझाये ।।
अंग्रेजों का मनोबल तोड़े बिना हथियार उठाये ।
आंदोलन सफल हुए फिर अपना नमक बनाये ।।
एक वस्त्र के लिए प्रतिज्ञा धोती ही अपनाये ।
दीन दुखी वंचित लोगों पर प्यार थे ये लुटाये ।।
ऊंच-नीच का भेद मिटाकर धर्मों का सम्मान ।
विदेशी वस्तुओं की होली जला स्वदेशी शान ।।
अहिंसा परमो धर्म सब का व्यवहार बना ।
सेवा पथ का राही बनकर एक आधार बना ।।
ऐसे धर्मों की लहर जब समाज में चलती है ।
साम्राज्य पलटकर फिर इतिहास बदलती है ।।
आत्मा शुद्धि का कठिन यज्ञ पूरा होने को आया ।
राम नाम धुन अलख जगा के दर्शन बताये ।
कर्म योगी बनकर आजादी के फूल खिलाये ।।
शुभचिंतक देश के बनकर सब का मान बढ़ाएं ।
सत्याग्रह करके भारत को ये आजादी दिलाये ।।
ध्वस्त कर दी तुमने अंग्रेजों की सब चाल ।
वैष्णव जन और मानवता का रखा ख्याल ।।
तेरी समाधि पर श्रद्धा सुमन करती अर्पन ।
गीता करती शत शत वंदन व अभिनंदन ।।
उपप्रधानाचार्या-गीता पाण्डेय
रायबरेली उ०प्र०
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