डॉ.राजेश कुमार जैन जी द्वारा 'माँ का श्रृंगार' विषय पर रचना

सादर समीक्षार्थ
 विषय  -     माँ का श्रृंगार


 आया नवरात्रि, का त्योहार
   झूमे  सारा ,  ही  संसार 
मन सबका, खुश है अपार
 करते माता, का श्रृंगार ..।।

हाथों में, लगाई मेहंदी 
माथे पर, कुमकुम की बिंदी 
माँग भी सिंदूर, से है भरी 
सिर पर सजती है, चुनरी..।।

माँग  टीका,  माँ  ने  पहना
 रानी हार, अनुपम लगता
 बालों में है, गजरा सजता
 मुख पर तेज है, चमकता..।।

 आँखों में काजल, अति प्यारा
 पाँवों  में  महावर,   सजता
 बिछवे,  पायल  हैं,  छनकती
 माता अति, प्यारी हैं लगती..।।

 माँ आशीष, सबको देती
 मन ही मन, हैं मुस्काती
 दुख सबके, ही हैं हरती
 इच्छा सबकी, पूरी करती ..।।

हम जय जयकार माँ की करते
 माँ को अपने घर पर  बुलाते..।।



डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल 
उत्तराखंड

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