कवयित्री मधु वैष्णव 'मान्या' जी द्वारा 'नारी शक्ति' विषय पर रचना

नमन मंच
सप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
दिनांक,,,19,10,2020
विषय,,, नारी शक्ति

 हे माँ
हुआ सघन तम का संताप,
अस्मत पर असुरों का साया,
लहूलुहान मर्यादा की सीमा,
रूप धरो हे जगत जननी,,
करो असुरों का संहार,हे दुर्गे मांँ।
निःशब्द रूह करे पुकार,
 खामोश संस्कारों के भाव,
सजल नेनों की यही आस,
 रूप धरो हे जगत जननी,,
 करो असुरों का संहार,, हे दुर्गे मांँ।
तुंग अत्याचार की आंधी, 
फैला राग द्वेष  व्यभिचार,
गुंजित स्वार्थ छल की मल्हार,
रूप धरो हे जगत जननी,,,,,
करो असुरों का संहार,,,, हे दुर्गे मांँ।
 खो गई त्याग समर्पित भावना ,
कलुष मन पाप विकट भारी , 
तृष्णा का ये  उपवन सारा,
रूप धरो हे जगत जननी,,,
 करो असुरों का संहार,,,, हे दुर्गे मांँ।

     मधु वैष्णव "मान्या"
विधा मुक्त रचना जोधपुर राजस्थान

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