बेटियाँ - डॉ अलका पाण्डेय
शीर्षक - बेटियाँ
ऊषा की लाली हैं बेटियाँ
भोर की कोमल किरणें बेटियाँ
नदी की कल-कल सी चहकती बटियांँ
मंदिर की पावन घंटियाँ है बेटियाँ
मंत्रों का मधुर स्वर है बेटियाँ
धर्म आस्था भजनों का गान बेटियाँ
शक्ति का पुंज नवदुर्गा का तेज बेटियाँ
सुबह का कोयल गान बेटियाँ
माँ बाप का अभिमान है बेटियाँ
गुलाब के फूलों सी महकती बेटियाँ ।
गेंदा .मोगरा , चमेली सी बेटियाँ
सुख दुख की साथी है बेटियाँ
माँ बाप की धड़कन है बटियां
मंगल कार्यका मंगल गान बेटियाँ
हर दर्द का मलहम है बेटियाँ
रुन झुन रुन झुन पायल की खनक बेटियाँ ।
घनघोर अंधेरी रातो का उजाला है बेटियाँ ।
दुख , परेशानी , गमगीन जीवन में। ख़ुशियों की खनक है बेटियाँ
बाप के थकन भरे चेहरे की मुस्कान है बेटियाँ ।
माँ -बाप के प्राण आधार है बेटियाँ
चंचल चपल बातों से मन हरती बेटियाँ ।
नन्हें-नन्हें कदमों से विश्वास के डग भरती बेटियाँ
हर माँ बाप की शान है बेटियाँ ।
पिता का आत्म सम्मान है बेटियाँ
गम को पीना मुस्करा कर जीना बेटियाँ
जमाने का सारा ज़हर पी जाती बेटियाँ
अपमान, तिरस्कार को सह जाती बेटियाँ
जीवन की कठिन डगर हो हंस कर चलती बेटियाँ ।
कैसे भी झंझावत आये , नहीं टूटती नहीं टूटती बेटियाँ ।
जीवन को खुशहाल बनाती
नगमें नयें सुनाती बेटियाँ
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
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