भास्कर सिंह माणिक, कोंच जी द्वारा खूबसूरत मुक्तक#

मंच को नमन

दो मुक्तक समीक्षार्थ प्रस्तुत
मैं संबंध बखूबी निभाना जानता हूं ।
मैं  बिखरे  मोती संजोना जानता हूं ।
जहां  में  कोई  क्या  बिगाड़ेगा  मेरा ।
मैं तीन अंजलि में सिंधु पीना जानता हूं।

सीमा पर जवान खेत पर किसान।
ये   दोनों  रखते  माटी  का  मान।
करो  आरती  इनकी  गाओ गान।
मातृभूमि  हित  करते जीवनदान।
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मैं घोषणा करता हूंँ कि यह मुक्तक मौलिक स्वरचित हैं।
           भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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