शीर्षक - गांधी एवं शास्त्री
गांधी बापू तुम लोकाभिराम जन नायक थे
सत्य अहिंसा सर्वधर्म समभाव के सायक थे
शांति प्रेम अभिनव प्रयोगों के प्रणेता न्यारे थे
भारत के राज दुलारे दुनियां को बहुत प्यारे थे
लालबहादुर मातृभूमि की माटी के लाल सपूत थे
छोटा कद उच्च विचार प्रतीक शठे शाठयम समाचरेत थे
गांधी ने आजादी दिलवा कर मातृभूमि को बांट दिया था
शास्त्री जी ने मातृभूमि की खातिर अपना सब कुछ बार दिया था
जय जवान जय किसान का नारा बुलंद किया था
सन् पैंसठ में सबक सिखा कर देश का स्वाभिमान बुलंद किया था
शास्त्री जी ने रातों की नींद हराम कर कईयों का सपना तोड़ दिया था
अपने ही जयचंदों की खातिर ताशकंद में प्राण दिया था
बापू तुम्हारे सच्चे अनुयाई का झूठों ने नहीं नाम लिया
शास्त्री जी जिनको अवरोध लगे थे उन्हीं ने देश को लूट लिया
बापू - शास्त्री को श्रृद्धा सुमन समर्पण आयोजन का प्रतीक बना दिया
माला जपी तुम्हारे नाम की अपनी कई पुस्तों को मालामाल कर दिया
लोकाभिराम जन नायकों को हम अनंत कोटि नमन करते हैं
आग्रह सत्य के सृजन का साक्षात्कार सहित श्रद्धांजलि सुमन समर्पण करते हैं
वन्दे मातरम्
चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र"
अहमदाबाद , गुजरात
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मैं चंन्द्र प्रकाश गुप्त चंन्द्र अहमदाबाद गुजरात घोषणा करता हूं कि उपरोक्त रचना मेरी स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है
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