प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन" जी द्वारा बिषय भारत का स्वरूप पर बेहतरीन रचना#

*स्वरचित रचना*
*भारत का स्वरूप*

अब देश के ग़द्दारों को।
मानसिक बीमारों को।।
 मिल के सबक सिखाए।
आओ अपना देश बचाये।।

अंधकार हावी हो रहा है।
देश का पुरुषत्व खो रहा।।
कायरता का कलंक मिटाए।
आओ अपना देश बचाये।।

बहुत हुआ आँखे मूँदना।
 सुरुआत करे युद्ध में कूदना।।
 अब ना अपना मान घटाये।
आओ अपना देश बचाये।।

बहन बेटी है लाज हमारी।
उनको बनाये हम संस्कारी।।
आओ नारी में शक्ति जगाये।
आओ अपना देश बचाये।।

कुछ देश विरोधी ताक रहे।
 हिन्दू मुस्लिम में  बाँट रहे।।
आओ मिल के एकता बढ़ाये।
आओ अपना देश बचाये।।

बूढ़े नही बुजुर्ग है हमारे।
बोझ नही,है मार्गदर्शक हमारे।।
आओ उनके आगे शीश झुकाए।
आओ अपना देश बचाये।।

राम कृष्ण बुद्ध की धरती।
सदा ये हमारा पालन करती।।
आओ इसका गहना लौटाये।
आओ अपना देश बचाये।।

सहभागिता से देश उठेगा।
मिलकर ही आगे उठेगा।।
आओ डूबते संस्कृति जगाये।
आओ अपना देश बचाये।।

आपत्तिजनक देख मौन है।
देखे तो चंद दुष्ट कौन है।
एक स्वर में आवाज लगाए।
आओ अपना देश बचाये।।

जो बन्धु रास्ता भटक गये।
विचलित होकर अटक गए।
आओ उन्हें सन्मार्ग दिखाये।
आओ अपना देश बचाये।।

बच्चे नही ये आत्मसम्मान है।
ये पहले पुण्यभूमि के सन्तान है।।
आओ इन्हें बलवान बनाये।।
आओ अपना देश बचाये।।

हिन्दी नही केवल भाषा है।
उज्वल भविष्य की आशा है।
आओ आशा के दीप जलाये
आओ मिलकर देश बचाये।।

 *प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"*

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