आज बिटिया के जन्मदिन पर
*साँस बनी रहती है तू*
तुम आई हो घर में बिटिया
रोशन होता है जग सारा
घर आंँगन है चहके- चहके
उपवन सारा महके- महके
बसती है खुशबू सांँसों में
हर पल लगता नया-नया
खत्म हुई है सभी उदासी
पल- छिन लगता भरा- भरा
आंँखों के आगे अब हो तुम
भूल गई सारा जग मैं
दर्द की टीसें उभर गईं
तुझमें खोने लगती मैं
क्या तुम मेरी बेटी हो
या तुम मेरी माता हो
क्या तुम मेरी बहना हो
शायद मेरी चिरसखा हो
समझ नहीं पाऊंँ इसको मैं
सारे रिश्ते दिखते तुझ में
बचपन यौवन सबकुछ देखूँ
नहीं कमी है कोई तुझमें
नजर लगे न तुझको मेरी
तुझपर वारी जाऊंँ मैं
कजरौटा से करूँ टीका
तेरी नजर उतारूँ मैं
सिखलाते -सिखलाते चलना
सीख रही हूंँ तुझसे चलना
पांँव थके जाते हैं मेरे
और नहीं मुझे है सहना
दुनिया के झंझावातों में
गिरती -पड़ती रहती हूंँ
संभलने की कोशिश करती
लहूलुहान हो जाती हूंँ
मैं नहीं चाहूंँ तुझको कहना
अपनी बेबसी उदासी
फिर भी बेकल हो जाती हूंँ
रहती हूंँ प्यासी -प्यासी
रिश्ते नातों के बंधन में
सारा रिश्ता झूठा है
एक शरीर से दो हम हुए
केवल ये ही सच्चा है
जीने की ताकत तू देती
जीने का सहारा तू (13)
जीने की मेरी कोशिश में
*सांँस बनी रहती है तू*
मैंने तुझको जन्म दिया
या तुम मेरी माता हो
समझ ना पाऊंँ इसको मैं
सच्चा अमिट ये नाता है
राह चलो नेकी का हरदम
मंगलमय हो जीवन तेरा
बढे चलो सदा प्रगति पथ पर
सुखों का हो एक बसेरा
जीवन में हरपल खुश रहना
तुझे सभी आनंद मिले
छलावों से भरी दुनिया में
तुझको सच्चा साथ मिले
यही दुआ है तेरी खातिर
रोम-रोम में बसता है
देवी मांँ की सदा कृपा हो
आशीर्वाद बरसता है।
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