दुनियाँ तेरी रीत निराली#शशिलता पाण्डेय जी द्वारा बेहतरीन रचना#

🌹दुनियाँ तेरी रीत निराली🌹
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कहीँ धर्म के होते झगड़े,
और कहीं पर "दंगा" है।
फिर भी संकट कोई आता,
मिलकर लेते "पंगा" है।
दुनियाँ तेरी रीत निराली,
बड़ी अजब सी होती है।  
होली ,ईद दिवाली क्रिसमस,
बैसाखी,साथ मनातेहैं ।
गुरुद्वारे में मत्था टेकते,
मिलकर ईद मनाते है।
होली के रंग में, रंग जाते,
मिलकर "सेवइयां "खाते है।।
फ़ाग होली में गाते मिलकर,
एक ही रंग में रंग जाते है।
चाहे दुर्गा-पूजा हो,
चाहे ईद के मेले में झूला झूले हो।
धर्म नहीं कोई खुशियों का,
ब्यर्थ सभी झमेले है।
"प्रलय "चाहे कोई आये या,
"भूकंप" के झटके हो।।
धर्म,देश हो चाहे जो भी,
मिलकर मदद पँहुचाते है।
बीमारी हो  या  महामारी,
मिलकर दूर भगाते हैं।।
दुश्मन खुशिओं के जो होते,
आग "नफरत "के भड़काते है।
देश धर्म के नाम पर,
इंसान का "खून "बहाते है।
दुनियाँ तेरी रीत निराली,
बड़ी अजब सी होती है।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री:-शशिलता पाण्डेय

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