*माँ महागौरी*
*म* मन के द्वार खोलकर
हम कर रहे आपकी आराधना
आशीर्वाद दो हमें
हम करते रहें कर्मरुपी साधना
*हा* हाथ में लिए त्रिशूल
होकर सफेद बैल पर सवार
शुभ्र वस्त्र धारण कर
पधारो माँ धरा पर
करने हमारा बेड़ा पार
*गौ* गौरी माँ आपके
अद्भुत, अलौकिक
छवि के दर्शन पाकर
हम हो जाएंगे धन्य
अष्टमी के दिन
गाकर आपकी आरती
मिलेंगा हमें परम आनंद
*री* रीति रिवाज संस्कारों से
कभी न टूटे हमारा नाता
कितने भी बन जायें हम आधुनिक
सारे विश्व में
हमेशा कहलाए
संस्कारों के निर्माता
विनती यही आपसे माता
सतीश लखोटिया
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