कवि सतीश लखोटिया जी द्वारा 'माँ महागौरी' विषय पर रचना

*माँ महागौरी*

*म*   मन के द्वार खोलकर
     हम कर रहे आपकी आराधना
     आशीर्वाद दो हमें
    हम करते रहें कर्मरुपी साधना

*हा*  हाथ में लिए त्रिशूल
       होकर सफेद बैल पर सवार
     शुभ्र  वस्त्र धारण कर
    पधारो माँ धरा पर
   करने हमारा बेड़ा पार

*गौ*   गौरी माँ आपके
        अद्भुत, अलौकिक
        छवि के दर्शन पाकर
         हम हो जाएंगे धन्य 
       अष्टमी के दिन
         गाकर आपकी आरती
       मिलेंगा हमें परम आनंद

*री*    रीति रिवाज संस्कारों से
     कभी न टूटे हमारा नाता
     कितने भी बन जायें हम आधुनिक
     सारे विश्व में
       हमेशा  कहलाए
     संस्कारों के निर्माता
       विनती यही आपसे माता

       सतीश लखोटिया
        नागपुर, महाराष्ट्र

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