शशिलता पाण्डेय जी द्वारा बेहतरीन रचना#

सपनो से भरे नैना
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मुझकों दे दो मेरी अभिलाषा,
मेरे  सपनों से भरे नैना।
मुझे भी सच सपने की आशा,
मुझे भी खूब पढ़ना-लिखना।
अरमानों के पंख लगाकर,
ऊँची उड़ान है फिर भरना ।
मैं तेरी बिटिया तेरी परछाई,
सपनो से भरे मेरे भी नैना।
मैं भी मंजिल छू सकती हूँ,
अपनी मनमर्जी से जीने दो।
अरमानों के पंख लगाकर,
खुले गगन में  उड़ने दो।
मेरे सपनों के पर ना तोड़ो,
मुझको भी ऊँची सीढ़ी चढ़ने दो।
 शिक्षा का अवलम्बन देकर,
 आगे मुझको भी पढ़ने दो।
 मैं भी मनुज हूँ इसी जगत की,
  मैं भी  सबकुछ कर सकती हूँ।
 डॉक्टर, इंजीनियर या सेना पुलिस,
 बन सकतीहूँ मैं भी सबकुछ।
 मेरे नैनो में रंग-बिरंगे स्वर्णिम,
  सपने तो बुनने लेने दो।
रंग भर सकती हूँ अपने सपनो में।
 जरा रंग तो और निखरने दो,
 मत करो विखंडित मेरे पर।
मुक्त गगन में उड़ने तो दो,
जी चाहे मैं छू लू बादल को।
ऊँची मंजिल पर चढ़ने दो,
 मैं चाहू चमकना सूरज सा
मेरी किरणों को बिखरने दो।
मेरे नैनो के रंग भरे सपनो को,
 जीवन मे झिलमिल सजाने दो।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
 कवयित्री :-शशिलता पाण्डेय

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