शीर्षक
,, भाषाओं के अग्रदूत हिंदी,,
हिंदी अब मत रहो उदास
देख नवक्रांति आ रही है.
अचल अडिग विश्वास का,
दीपक जला रहीहैं.
भेदभाव को खत्म कर रही,
हिंदी वह हमजोली है.
लिपि ध्वनि और शब्द से आगे,
हिंदी जनमत की बोली है.
तू झारखंड का छोह नृत्य
तू ही बिरहा बिहारी है।
तू उत्तर प्रदेश का लोक नृत्य,
तू ही भांगड़ा पंजाबी है।
पगड़ी तिरंगा सजाके यह
साहित्य गा रही है.।
हिंदी अब मत रहो उदास
देख नव क्रांति आ रही है।
माता बनकर हिंदी तू ही,
गीत प्रभाती गाती है.
कुंठित अंग्रेजी पिट्ठु को,
तू ही संस्कृति का पाठ पढ़ाती है.
तेरे सृजन उपासक हम,
अब उमड़ रही अरुणाई है
तू भाषाओं के अग्रदूत
तुझ पर छाई तरुणाई है.
तू मातृ तुल्य पूजित हिंदी,
विश्व पटल पर छा रही है।
हिंदी अब मत रहो उदास,
देख नव क्रांति आ रही है।
अचल अडिग विश्वास का,
दीपक जला रही है।।
सुधा तिवारी
राघव नगर
देवरिया
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