कवयित्री स्वेता अमित राज जी द्वारा 'माँ' विषय पर रचना

बदलाव मंच को नमन


प्रथम दिवस हम पूजन करे माँ शैलपुत्री जी की,
पर्वत राज के घर जन्म लिया कहलाई हिमालयपुत्री।
माता की वाहन है वृषभ कहलाई वृषारूढ़ा जी,
हाथ मे त्रिशूल, कमल शोभे,कहलाई सती माताजी।।
आओ हम सब पूजन करे माँ नवदुर्गा जी की।।


द्वितीय दिवस हम पूजन करे  माँ ब्रह्मचारिणी जी की,
तप और आचरण से मिल कर बनी तपश्चारिणी माता जी,
कठोर तप और निर्जल रहकर की उपासना शिव जी की,
कितने वर्ष गुजारे निराहार, कहलाई अपर्णा माताजी।।
आओ हम सब पूजन करे माँ नवदुर्गा जी की।।

तृतीय दिवस हम पूजन करे माँ चंद्रघंटा जी की,
शांतिदायक ओर कल्याणकारी हैं ये माता जी।
मस्तक पर घंटे जैसा आधा चंद्र शोभे जी,
दश हाथ हैं उनके,हाथों में खड्ग विराजे जी।
आओ हम सब पूजन करे माँ नवदुर्गा जी की।।

चतुर्थ दिवस हम पूजन करे माँ कुष्मांडा माता जी की,
आदिशक्ति, आदिस्वरूपा नाम जिनका कहलाया जी।
आठ हाथ हैं जिनके ,हस्त में कमंडल, धनुष, कमल, बाण और गदा बिराजे जी,
वाहन जिनका सिंह है,कुम्हड़े की बलि प्रिय माता जी,
आओ हम सब पूजन करे माँ नवदुर्गा जी की।।


पंचम दिवस हम पूजन करे माँ स्कन्दमाता जी की,
मोक्ष के द्वार खोले, परम् सुखदायी माता जी,
चार भुजाएं हैं इनकी, स्कन्द, कमल पुष्प हाथ मे विराजे जी,
स्कन्द कुमार कार्तिकेय की माता स्कन्दमाता जी,
आओ हम सब पूजन करे मां नवदुर्गा जी की।।

षष्ठी दिवस हम पूजन करे माँ कात्यायनी जी की,
अर्थ,धर्म,काम और मोक्ष, चारों फल की दात्री माता जी,
रोग,शोक और भय का नाश करे ये माता जी,
महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया, नाम कहलाया कात्यायनी माता जी,
आओ हम सब पूजन करे माँ नवदुर्गा जी की।।


सप्तम दिवस हम पूजन करे माँ कालरात्रि जी की,
अंधकारमय शक्ति का विनाश करे,काल से रक्षा करे ऐसी हैं कालरात्रि माता जी,
त्रिनेत्र हैं जिनके,सांसों से जो अग्नि निकाले वो हैं काली माता जी,
वाहन जिनका गदर्भ है, निडर निर्भय का जो वर दे

-स्वेता अमित राज

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