*साप्ताहिक प्रतियोगिता*
*विषय-माता के नवरूप*
*विधा-कविता*
*दिनांक-24/10/2020*
मातृ शक्ति,नवरूप की महिमा अपरंपार।
माता के नवरूप से, संचारित नर-नार।।
प्रथम दिवस हम पूजते,माता शैलपुत्री।
ऊर्जा की यह दायिनी, पर्वतराज की पुत्री।।
द्वितीय रूप माता का, है ब्रम्हचारिणी।
त्याग-तपस्या की देवी,हस्त कमण्डल धारिणी।।
चंद्रघंटा रूप है,माता का तृतीय।
अस्त्र-शस्त्र धारण किए, अद्भुत-अद्वितीय।।
चतुर्थ दिवस अवतरित हों, कुष्मांडा माता।
सूर्य-गर्त में निवास है, दीर्घायु की दाता।।
स्कंदमाता माँ का रूप है, पंचम और निराला।
कमल-पुष्प पर आसीन हैं, गोद स्कंद है बाला।।
षष्ठ दिवस दर्शन देतीं, देवी कात्यायनी।
चार भुजाओं वाली माँ, धर्म-मोक्ष की दायिनी।।
कालरात्रि का रूप है, माता का सप्त।
विकराल रूप माता का, करता भय से मुक्त।।
अष्ट दिवस हम पूजते, गौर वर्ण महागौरी।
मनोकामना पूर्ण करें, वृषभ की करती सवारी।।
सिद्धिदात्री का रूप ले, माँ आती नौवे दिन।
चक्र-गदा धारण किए, फल देती माँगे बिन।।
नवरात्रि के नौ दिन,होते अति उत्तम।
भूल-चूक विसराना माँ, विनती करते हम।।
रोशनी दीक्षित *रित्री*बिलासपुर छत्तीसगढ़....
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