कवि बाबूराम सिंह जी द्वारा 'राष्ट्रीय एकता' विषय पर कविता

राष्ट्रीय एकता 
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राष्ट्रीय एकता में  अतुल अथाह बल ,
सभी प्रश्नों का हल इसी में समाया है ।
प्रगति ,उत्थान ,उत्कर्ष ,हर्ष दाता यह ,
विश्व  बन्धुत्व  का अनुप दृढ़ पाया है ।
अभय अडिगतामें अटल सहायक भी ,
मर्म  मानव  धर्म  समानकता काया है ।
आदिसे अनेकतामें एकता जो लाया सदा,
वही "कवि बाबूराम"शान्ति सुख पाया है ।

जन-जन हो जागरुक जुट यतन बिच 
राष्ट्रीय  एकता  को अक्षुण्ण बनाइये।
जातिवादका जो आगलेगाआज  पात-पात,
भाईचारा  एकता  के जल से बुझाइये ।
अमन चैन अनूठा आबाद हो आपस में,
जिये -मरे  सच्चे  धर्म बिच सब   आइये।
भव्यतम भारत भरोस बल जागे फिर ,
"कवि बाबूराम "कुछ कर दिखला दिये ।

देश को तबाह कर करते जो वाह-वाह,
खुद  ही  विचार  करें कैसै वह लोग हैं ।
देश प्रगति को इतिहास खास सर्वदा से,
एकता सुप्यार आपस  का सहयोग  है ।
जागो युवाओं नेता कविलेखक पत्रकार,
एकता  अनोखा  शुभ स्वर्णिम सुयोग है।
राष्टीॅय एकता बिन''कवि बाबूराम " कभी,
मिट  नहीं  सकता  जो भी राष्टीॅय रोग है।

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बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज(बिहार)841508
मो0नं0 - 9572105032
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