राष्ट्रीय एकता
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राष्ट्रीय एकता में अतुल अथाह बल ,
सभी प्रश्नों का हल इसी में समाया है ।
प्रगति ,उत्थान ,उत्कर्ष ,हर्ष दाता यह ,
विश्व बन्धुत्व का अनुप दृढ़ पाया है ।
अभय अडिगतामें अटल सहायक भी ,
मर्म मानव धर्म समानकता काया है ।
आदिसे अनेकतामें एकता जो लाया सदा,
वही "कवि बाबूराम"शान्ति सुख पाया है ।
जन-जन हो जागरुक जुट यतन बिच
राष्ट्रीय एकता को अक्षुण्ण बनाइये।
जातिवादका जो आगलेगाआज पात-पात,
भाईचारा एकता के जल से बुझाइये ।
अमन चैन अनूठा आबाद हो आपस में,
जिये -मरे सच्चे धर्म बिच सब आइये।
भव्यतम भारत भरोस बल जागे फिर ,
"कवि बाबूराम "कुछ कर दिखला दिये ।
देश को तबाह कर करते जो वाह-वाह,
खुद ही विचार करें कैसै वह लोग हैं ।
देश प्रगति को इतिहास खास सर्वदा से,
एकता सुप्यार आपस का सहयोग है ।
जागो युवाओं नेता कविलेखक पत्रकार,
एकता अनोखा शुभ स्वर्णिम सुयोग है।
राष्टीॅय एकता बिन''कवि बाबूराम " कभी,
मिट नहीं सकता जो भी राष्टीॅय रोग है।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)841508
मो0नं0 - 9572105032
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