कवयित्री एकता कुमारी जी द्वारा रचना “नारी हम हिन्दुस्तानी"

*"नारी हम हिन्दुस्तानी"*
हम भारत की नारी है,नारी हम हिन्दुस्तानी,
सुनने वालो, सुन लो मेरी करुण  कहानी।
ये किस्सा स्त्री का  है अबला कहे  जुबानी, 
सुनने वालो, सुन लो मेरी करुण  कहानी।

वो राजा की बेटी-बहू नाम था उसका सीता, 
कतरे कतरे में समाया था उसके पावन गीता।
पुरुष समाज ने दामन में दाग लगाने की ठानी। 
सुनने वालों सुन लो मेरी करुण कहानी, 
हम भारत की नारी है,नारी हम हिन्दुस्तानी। 

वस्तु समझ कर पति ने जुए में उसको हारा, 
दुष्ट दु:शासन देवर ने आँगन में वस्त्र उतारा।
नहीं बचाने आया कोई मरा शर्म का पानी। 
सुनने वालों सुन लो मेरी करुण कहानी, 
हम भारत की नारी है, नारी हम हिन्दुस्तानी। 

कहीं दहेज के खातिर जिंदा जलावाया जाता है, 
प्यासी हवस बुझाने कलियों को मसलाया जाता है। 
महफूज नहीं घरों में अब,स्त्री की जिंदगानी। 
सुनने वालों सुन लो मेरी करुण कहानी, 
हम भारत की नारी है,नारी हम हिन्दुस्तानी। 


 नम हो जाती है आँखे,व्यथित आत्मा रोती है, 
अपनों के संग रहकर निज सुकून चैन खोती है। 
अविरल आँसूंधारा बहती जैसे नदियाँ -पानी!
सुनने वालों सुन लो मेरी करुण कहानी, 
हम भारत की नारी है,नारी हम हिन्दुस्तानी।
बदलेगी आखिर कैसे ,मर्दों की रीत पुरानी। 
हम भारत की नारी हैं,नारी हम हिन्दुस्तानी।
            ** एकता कुमारी **

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