कवि प्रकाश कुमार मधुबनी “चन्दन" जी द्वारा रचना “हर दिन बनकर ज्योत जलता हैं वो।"

शीर्षक- आ.दीपक क्रांति जी

हर दिन बनकर ज्योत जलता है वो।
हर दिन सूरज-सा नित निकलता है वो।
साहित्य के दुनिया में नित नए-नए स्वयं कीर्तिमान लिखता है वो।
यूं ही नही स्वयं को क्रांति कहता है वो।

स्वयं के साथ दूसरों को राह दिखाता है।
कीर्तिमान के हर शिखर को पड़ाव बताता है।।
  सभी लोगो को साथ  लेके चलने को तैयार है,
अपने नाम दीपक को सदैव सार्थक करता है वो।

ठान लिया है हिंदी को विश्व भाषा बनाना है।
हिंदी साहित्य में अतुलनीय बदलाव लाना है।।
प्रण लिया मन में कुछ कर गुजर जाने की।
 जो सरल नहीं बार-बार करके दिखाता है वो।।

आदरणीय दीपक क्रांति जी व आदरणीया रूपा व्यास जी आप दोनों को राष्ट्रीय सम्मान के नए पड़ाव पर हार्दिक शुभकामनाएं।।

*प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"*

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ