कवि प्रकाश मेहता जी द्वारा रचना “पटाखा रहित दीपावली"

*आओ इस बार सर्दियों में मनाएं,* 
*"पटाखा रहित दीपावली"...*
*(डॉ प्रकाश मेहता, बेंगलुरु)*

*कोरोना संक्रमण* का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। संक्रमण भी ऐसा कि *पता ही नहीं चलता कि मरीज कहां और कैसे संक्रमित हुआ।* संक्रमण की रफ्तार जिस तेजी से बढ़ रही है उसके मुकाबले चिकित्सा सुविधाएं कमजोर होकर बोनी साबित होती जा रही है।
*चिकित्सकों का मानना है कि कोरोना के चलते इस बार दीपावली पर पटाखों से प्रदुषण नहीं फैलने दिया जाए। पटाखों से उत्पन्न धुएं से हृदय रोग, नेत्ररोग, गर्भपात का खतरा एवं शिशु के विकास में बांधा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।* 
यह एक संवेदनशील मुद्दा है। कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। देशभर में 1 लाख 11 हजार से अधिक मौतें हो चुकी है। अब भी प्रतीदिन 70 हजार के लगभग संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों द्वारा चिंता जताई जा रही है कि सर्दी में कोरोना और बढ़ने की संभावना है। गर्मी का दौर थमने व सर्दी की शुरुआत के साथ ज्यों-ज्यों दीपावली नजदीक आएगी, अधिक सावधानी की जरूरत होगी। 
*धीरे-धीरे आती हुई सर्दी चुपके से कोल्ड व फ्लू के रूप में खतरनाक हमले शुरू कर देती है। यह श्वसन तंत्र से जुड़ा वायरस है। यह ठंड और कम आद्रता में अधिक संक्रमण के लिए जाना जाता है। ऐसे में पटाखों का प्रदुषण "कोढ़ में खाज" का काम कर सकता है। आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं शरीर को नुक्सान पहुंचाता है। हमें ऐसा कोई भी कृत्य नहीं करना चाहिए जिससे मानव जीवन को किसी भी तरह का खतरा हो।*
 कोरोना की बिमारी फेफड़ों को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है। शहरों में बढ़ता प्रदुषण वैसे भी स्वस्थ मानव जीवन के लिए एक गंभीर चुनौती है। अस्थमा और सांस के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 
यह स्थिति कोरोना के मरीजों के लिए तो और भी खतरनाक है। ऐसे में अच्छे स्वास्थ के लिए पटाखों पर नियंत्रण अती आवश्यक है। 
*जब तक कोरोना की वैक्सीन बाजार में नहीं आती तब तक सावधानी ही इलाज है। अंग्रेज़ी की एक कहावत है "Prevention is better than Cure" जो कि आजके समय में एक दम सही साबित होती दिखाई दे रही है।* सभी राज्य सरकारों को भी पटाखों पर रोक का निर्णय लेकर पटाखें जलाना प्रतिबंधित करना चाहिए। 
लंबे समय से नागरिक कोरोना से बचाव में सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए सहयोग कर रहे हैं। 
*एक दिपावली अपने अच्छे स्वास्थ्य की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए बिना पटाखों के मनाने में किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए।* 
देश कोरोना महामारी के कारण अपुर्व संकट के दौर से गुजर रहा है। इस समय तो कोरोनाकाल में पटाखों का धुआं मानव जीवन के लिए बहुत ख़तरनाक साबित होगा। ऐसे में लोगों को अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए हरसंभव प्रत्येक प्रयास प्राथमिकता के साथ करने चाहिए। 
*प्रदूषण से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने में प्रत्येक देशवासी को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सहयोग करना चाहिए, यह समय की मांग के साथ-साथ हमारी मानवीय संवेदनाओ का परिचायक भी है।* 
*सभी जीवों की सुरक्षा एवं हमारी प्रकृति के संरक्षण के लिए पटाखों को प्रतिबंधित करना अती आवश्यक, समायोचीत एवं आज की महती आवश्यकता है।*
*कोरोना से आजादी लॉक डाउन नहीं दिलाएगा, प्रदुषण से बचाव व जन जागरूकता से ही कोरोना पर विजय पा सकते हैं।*
*इन्हीं विचारों के साथ...*
मेरी कलम से

डॉ.प्रकाश मेहता

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