मंच को नमन
दिनांक- 18 अक्टूबर 2020
विषय-मांँ ब्रह्मचारिणी
हे दुख हरणी मांँ कल्याणी
कर कृपा कर दे मांँ ब्रह्मचारिणी
तुम हो मांँ जग की पालन हारी
है अद्भुत मांँ तेरी लीला न्यारी
दुष्टों का करती देती हो संघार
ब्रह्म लोक मांँ तुम राजदुलारी
तुम ही तो हो मांँ मंगलकारणी
कर कृपा कर दे मांँ ब्रह्मचारिणी
शब्द शब्द में हो आप समाहित
वेद पुराण आप से उच्चारित
मूक बने वाचाल पंगु गिरी चढ़े
है सृष्टि आपसे ही आधारित
तुम हो शंख गदा वीणा धारणी
कर कृपा कर दे मांँ ब्रह्मचारिणी
हे मांँ ज्ञान दायिनी तम हरणी
प्रकृति की तुम हो पोषण करणी
तेरी दृष्टि से मूर्ख बने ज्ञानी
हे मांँ तेरी पद रज तरणी
हो तुम ही तो मांँ भविष्य भाषणी
कर कृपा कर दे मांँ ब्रह्मचारिणी
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मैं घोषणा करता हूंँ कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
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