अरविन्द अकेला जी द्वारा बिषय बेटियों से विनती पर कविता#

कविता   
 
        बेटियों से विनती
      ------------------------
एक बाप कर रहा  बेटियों से  विनती,
बनायें रखें वह सुखद संसार,
घर की बढायें सदा मान वह,
सुखी रखें अपना घर परिवार।

जमकर पढ़े लिखें सारी  बेटियाँ,
सीखें वह सदविचार संस्कार,
बहु बनकर जब जाये ससुराल,
घर परिवार में लाये आनन्द बहार,

सास को सदा अपनी माँ  समझें,
करें उनसे उत्तम व्यवहार,
ससुर जी को अपना  पिता मानें ,
करें उनका सदा आदर सत्कार।

ननद को अपनी बहना समझें,
दे उन्हें अपना प्रेम दुलार,
देवर भैसुर को देवर भाई  जानें
दें उन्हें भाभी बहना का प्यार।

संयुक्त परिवार से भागो नहीं तुम,
करो सहर्ष तुम इसे स्वीकार,
बचाकर रखो समाजिक  मर्यादा तुम,
सौंप रहा हूँ तुमपर दायित्व व भार।

जिसे भी अपना जीवन साथी चुनें,
उनसे नहीं करें झगड़ा मार,
मुँह से सदा मीठी बोली बोलो,
रखो बेटियों की गरिमा बरकरार।
         ------000----
           अरविन्द अकेला

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ