कविता#नारायण प्रसाद जी द्वारा बेहतरीन रचना#

बदलाव मंच अंतराष्ट्रीय राष्ट्रीय
साप्ताहिक प्रतियोगिता 2020
दिनांक- 28/09/2020 से 04/10/2020
विधा- कविता
शीर्षक- महात्मा गाँधी जी (अहिंसा के पुजारी)

संत,बापू या कहो महात्मा गाँधी जी।
वो तो था अंग्रेजों के लिए आँधी जी।
जन्म लिया था गुजरात पोरबंदर में।
भरा पड़ा था देश प्रेम जिनके अंदर में।
वो तो था सत्य,अहिंसा का पुजारी।
कूट-कूट कर भरा था जिनके अंदर सदाचारी।
अग्रेंजों पर पड़ता था एक अकेला भारी।
समझने में अंग्रेजों को करनी पड़ती तैयारी।
स्वदेशी वस्तुओं का अलख जगाया था।
विदेशी वस्तुओं का होली जलाया था ।
अफ्रीका में गोरे काले का भेद मिटाया।
भारत में छुआ छूत का कलंक मिटाया।
कद से छोटा और मध्यम उसका चाल था।
ऊँचा करने निकले भारतीयों का भाल था।
सत्य,अहिंसा और अनशन जिनका ढाल था।
साथ चलते जिनके लाल ,पाल और बाल था।
एक गाल में मार खाने पर, दिया था दूसरा गाल।
आपके इस संयम को, पूरी दुनिया देती है मिसाल।
"भारत माता की जय" का करता जयकारा था।
देश के लिए "करो या मरो" लगाता नारा था।
बापू के सत्याग्रह ने हर एक भारतीय को जोड़ा।
सब को साथ लेकर चला नही किसी को छोड़ा।
एकता के बल पर गुलामी की जंजीरों को तोड़ा।
तब जा के विवश होकर अंग्रेजों ने भारत छोड़ा।
गाँधी जी आजादी के लिए थे कितने ख़ास।
ये बताता है आज हमारा भारत का इतिहास।
✍🏻नारायण प्रसाद
     दुर्ग (छत्तीसगढ़)
     स्वरचित रचना

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