कवयित्री सविता मिश्रा जी द्वारा रचना “विषय - शास्त्री जी, जय जवान, जय किसान”

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साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु रचना
विषय - शास्त्री जी, जय जवान, जय किसान
विधा - गद्य लेखन
दिनांक - 2-10-2020
दिन - शुक्रवार

हमारा देश भारत महापुरुषों की धरा है, समय - समय पर अनेकों महापुरुषों ने जन्म लिया और और अपने कार्य से इसके  गौरव को बढ़ाया l जिनमें से एक लाल बहादुर शास्त्री जी थे l
शास्त्री जी का जन्म 2 अक्तूबर सन 1904 को मुगलसराय उत्तर प्रदेश में हुआ था l माता का नाम राम दुलारी और पिता का नाम मुंशी प्रसाद श्रीवास्तव था l सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले शास्त्री जी एक शांत चित्त व्यक्तित्व के व्यक्ति भी थे l
बचपन में पिता का देहांत हो जाने के कारण शास्त्री ने काफी कठिनाइयों से शिक्षा प्राप्त की l शास्त्री जी जब काशी विद्यापीठ से संस्कृत की पढ़ाई करके निकले तो उन्हें शास्त्री की उपाधि दी गयी l इसके बाद अपने नाम में शास्त्री लगाने लगे l अपने देश भारत को अंग्रेजो से आजाद कराने के लिए शास्त्री जी गाँधी जी के साथ सन 1921 में असहयोग आंदोलन से लेकर सन 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया l 15 अगस्त सन 1947 को भारत आजाद हुआ और स्वतंत्र देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने l
अपने प्रधान मंत्री के शासन काल में सन 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ l विषम परिस्थितियों में भी शास्त्री जी ने देश की सम्भाला और बुद्धिमानी, समझदारी, साहस और कुशल नेतृत्व का परिचय दिया l सेना के जवानों और किसानों का महत्त्व बताने के लिए शास्त्री जी ने *जय जवान,जय किसान* का नारा दिया l जो कि भारत का एक प्रसिद्ध नारा है l भावनात्मक एकता स्थापित करने के लिए शास्त्री जी ने नारा दिया था जिसका असर हिन्दू और मुस्लिम सैनिकों पर एक जादू- सा पड़ा l और युद्ध में  हमारे सैनिको की विजय हुई और पाकिस्तान को विवश होकर अपनी रक्षा के लिए संधि करनी पड़ी l *जय जवान* देश की सुरक्षा की दृष्टि से जहाँ एक पंचाक्षरीय मंत्र है, *जय किसान* देश को धन- धान्य से सम्पन्न बनाने का एक पंचाक्षरीय मंत्र है l
11 जनवरी सन 1966 को शास्त्रीजी की मृत्यु ताशकंद समझौते के दौरान रहस्यमय तरीके से हो गयी l माँ भारती का लाल अपने कर्मों से सदा के लिए अमर हो गया l
जय हिंद........ जय भारत.....

     गद्यकार का नाम - सविता मिश्रा
  (शिक्षिका, समाजसेविका और कवियत्री ) 
   पता - वाराणसी उत्तर प्रदेश
   स्वरचित और मौलिक गद्य लेखन
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