कवि सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता" जी द्वारा 'सुना है क्या...' विषय पर रचना

सुना है क्या.. 

जपते में हो कुछ सुना है क्या
सकते में हो कुछ सुना है क्या

किसने क्या,  कह दिया तुमसे
विरक्ते^ में हो कुछ सुना है क्या (उदास )

कोई तो प्यास है, सता रही है
असकते^में हो कुछ सुना है क्या(अधूरी इच्छा)

तुम तो ऐसा ना करते थे कभी
बकते^में हो कुछ सुना है क्या (व्यर्थ बोलना)

साथ चलकर सफ़र पूरा कर लें
अकते^में हो कुछ सुना है क्या 
(एक होने का भाव )

छोड़ो "उड़ता"लफ़्ज़ों की बात को
लिखते में हो कुछ सुना है क्या


स्वरचित मौलिक रचना 

द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "
झज्जर - 124103 (हरियाणा )

udtasonu2003@gmail.com

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